अमित शाह के कहने पर बुराड़ी आए किसानों के साथ हुआ धोखा, अब हम यहां नहीं रुकेंगे: वीएम सिंह
अमित शाह के कहने पर बुराड़ी आए किसानों के साथ हुआ धोखा: वीएम सिंह
नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों को ठगने का काम किया है। बुधवार शाम प्रेस वार्ता में वीएम सिंह ने कहा, केंद्रीय गृह मंत्री ने किसानों से कहा था कि किसान बुराड़ी मैदान में आ जाएं, हम उनसे बात करेंगे। गृहमंत्री की अपील पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान रास्ते खाली कर बुराड़ी में आ गए। सरकार ने मंगलवार को किसानों को बातचीत के लिए बुलाया तो उसमें हमें शामिल नहीं किया गया। कल की बातचीत में हमें नहीं बुलाए जाने के बाद अब हम बुराड़ी में नहीं रुकेंगे।
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सरदार वीएम सिंह ने कहा, जिस तरह से शान्ति से बुराड़ी में बैठे किसानों से सरकार ने बात करना जरूरी नहीं समझा। उसे देखकर लगता है कि सरकार उनसे ही बात करेगी जो कानून को अपने हाथ में लेंगे। सरकार ने यूपी और उत्तराखंड के किसानों को धोखा दिया है, इसके बाद बुराड़ी में रुकने का कोई फायदा नहीं है। हम अब ये मैदान खाली करेंगे।
बता दें कि 26 और 27 नवंबर को किसानों और सरकार के बीच टकराव के बाद अमित शाह ने कहा था कि किसानों बुराड़ी में मैदान दिया गया है। किसान रास्ते खाली कर वहां जाकर अपना प्रदर्शन करें। जो लोग बुराड़ी में जमा हो जाएंगे, उनसे सरकार बात करेगी और उनकी समस्याओं को सुनेगी। इसके बाद कुछ संगठन बुराड़ी आ गए थे लेकिन पंजाब हरियाणा से आए ज्यादातर किसानों ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था। किसानों ने बुराड़ी ग्राउंड को जेल बताते हुए कहा था कि हम किसी खुली जेल में बंद होने के लिए अपने घरों से नहीं आए हैं। इसके बाद सरकार ने मंगलवार को किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था, जिसमें वीएम सिंह शामिल नहीं थे। 3 दिसंबर को फिर से किसानों और सरकारों के बीच बात होगी।
किसान पांच महीने से कर रहे हैं आंदोलन
केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून से आंदोलनरत हैं। किसानों ने हाल ही में 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है। जिसके बाद 26 नवंबर को किसान पंजाब हरियाणा से दिल्ली की ओर कूच किए। फिलहाल किसान सिंधु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत भी हो रही है लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं निकलता दिख रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार जमीनों और मंडी सिस्टम को बड़े कारोबारियों को सौंप रही है, जो हमें बर्बाद कर देगा। ऐसे में इनको तुरंत वापस लिया जाए।