23 सितंबर से हरिद्वार से किसान यूनियन की पदयात्रा, 2 अक्टूबर को पहुंचेगे संसद
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन ने किसानों की समस्याओं को लेकर हरिद्वार से दिल्ली तक यात्रा का ऐलान किया है। भाकियू ने इसे किसान क्रान्ति यात्रा का नाम दिया है। किसानों की ये यात्रा हरिद्वार से 23 सितंबर को चलेगी और 2 अक्टूबर को दिल्ली संसद भवन पहुंचेगी। 5 सितंबर को दिल्ली में वामपंथी किसान संगठनों ने दिल्ली में किसानों की समस्याओं को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। जिसमें लाखों किसान जुटे। ऐसे में एक माह के भीतर से दूसरा मौका है जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में जुटेंगे।
किसान नेताओं का कहना है कि किसान बहुत अच्छी हालत से नहीं गुजर रहा है और उसकी ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। ऐसे में एनडीए सरकार उन वादों को पूरा करे, जो उसने सत्ता में आने से पहले किए थे। भाकियू ने किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाने की मांग की है।
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भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि किसान क्रांति यात्रा के जरिए वो नौ मांगो को लेकर सरकार से सवाल कर रहे हैं। इसमें किसानों की पूर्ण कर्जमाफी सबसे अहम है। टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है और इसी के चलते देशभर में किसान आंदोलन करने को मजबूर ह रहे हैं।
टिकैट का कहना है कि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा जिससे किसान रोज कर्ज में दब रहा है और आत्महत्या कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों में 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं, उन्होंने मांग की कि जिन किसानों ने आत्महत्या की उनके परिवारों का पुर्नवास किया जाए और उन्हें नौकरी दी जाए।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसाना की एक न्यूनतम आय सुनिश्चित की जाये, 60 साल की आयु के बाद किसान को 5,000 रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए, साथ ही आवारा पशुओं से खेतों की सुरक्षा के लिए भी कोई योजना बनाई जाए। टिकैत ने इसके अलावा किसानों के गन्ना का बकाया भुगतान ब्याज के कराने, किसानों को सिंचाई के लिए फ्री में बिजली, एनजीटी के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 वर्ष से पुराने डीजल वाहनों पर लगाई रोक से किसानों के ट्रैक्टरों तथा कृषि कार्य में प्रयोग होने वाले डीजल इंजन को मुक्त किया जाने और खेती में उपयोग होने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से बाहर किया जाए की मांग की है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्ववीर सिंह ने बुधवार को दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसान क्रान्ति यात्रा के तहत हजारों किसान 2 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की सुनने को राजी नहीं है, ऐसे में आंदोलन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर 15 साल से संसद में चर्चा तक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों का 19 हजार करोड़ रुपया बकाया है। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 14 दिन में गन्ना भुगतान देने की बात कही थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं पर चर्चा करे और इनको हल करे।
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