Farmers Protest: हिंसा के बाद किसान संगठनों की बैठक, कहा- शांतिपूर्ण संघर्ष के खिलाफ रची गई गंदी साजिश
Farmers Protest Update: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में ट्रैक्टर रैली निकाली। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी दिल्ली के आईटीओ और लाल किले पहुंच गए। साथ ही वहां पर जमकर उपद्रव किया। इसके बाद बुधवार को कई किसान संगठनों ने बलबीर सिंह राजेवाल की अध्यक्षता में एक बैठक की। इस दौरान किसान गणतंत्र परेड को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया देने के लिए संघर्षरत किसानों की सराहना की।
संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) की ओर से जारी बयान के मुताबिक बैठक में शामिल सभी संगठनों ने दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं पर चर्चा की। साथ ही ये निष्कर्ष निकला की इस प्रदर्शन से केंद्र सरकार पूरी तरह से हिल गई है। उनके मुताबिक किसान मजदूर संघर्ष समिति और अन्य के शांतिपूर्ण संघर्ष के खिलाफ एक गंदी साजिश रची गई थी। वहीं जिन संगठनों ने आंदोलन के 15 दिन बाद अपना अलग प्रदर्शन स्थल बना लिया था, वो इस संघर्ष का हिस्सा नहीं थे। संयुक्त मोर्चा ने साफ किया कि हिंसा के पीछे उनके लोग नहीं थे।
दिल्ली
में
क्या-क्या
हुआ?
दरअसल
दिल्ली
पुलिस
ने
सोमवार
को
ही
किसान
ट्रैक्टर
रैली
के
लिए
रूट
तय
कर
दिया
था।
साथ
ही
रूट
पर
सुरक्षा
के
कड़े
इंतजाम
किए।
इस
बीच
मंगलवार
सुबह
से
ही
कुछ
प्रदर्शनकारियों
ने
लाल
किले
(Red
Fort)
की
ओर
कूच
कर
दिया।
बाद
में
उनकी
पुलिसकर्मियों
से
झड़प
भी
हुई।
इसके
बाद
कई
लोग
लाल
किले
के
ऊपर
चढ़
गए
और
वहां
पर
निशान
साहिब
लहरा
दिया।
हालांकि
देर
शाम
तक
पुलिस
ने
हालात
पर
काबू
पर
लिया
था,
लेकिन
हिंसा
में
300
से
ज्यादा
पुलिसकर्मी
घायल
हुए
हैं।
हिंसा
के
बाद
से
ही
झाड़
लिया
था
पल्ला
हिंसा
के
बाद
से
संयुक्त
किसान
मोर्चा
इससे
पल्ला
झाड़
रहा
है।
एक
न्यूज
चैनल
से
बात
करते
हुए
मोर्चा
के
सदस्य
राजेंदर
सिंह
कहा
कि
लाल
किले
पर
निशान
साहिब
को
लहराना
गलत
है।
इसके
पीछे
संयुक्त
किसान
मोर्चा
को
हाथ
नहीं
है,
ये
हिंसा
पन्नू
ग्रुप
ने
की
थी।
उन्होंने
दीप
सिद्दू
और
लख्खा
सिधाना
पर
प्रदर्शनकारियों
को
भड़काने
का
भी
आरोप
लगाया।