क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ग्राउंड रिपोर्ट: 'किसान फसल उगा लेते हैं मार्केटिंग में हवा निकल जाती है'

भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बीते सोमवार को बीबीसी से बातचीत में ये बात तब कही जब पूरे देश में उन किसानों के पांव के छालों की चर्चा थी, जो महाराष्ट्र के नासिक ज़िले से पैदल चलते हुए मुंबई पहुंचे थे.किसानों की उस रैली में आदिवासी, जनजातीय किसानों की बड़ी संख्या थी. वो ज़मीन की मांग कर रहे थे.

 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
किसान आंदोलनकारी
AFP
किसान आंदोलनकारी

"किसान जितना जल्दी संगठित होकर खड़ा होगा, सरकार किसी की भी हो, तलवे चाटेगी."

भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बीते सोमवार को बीबीसी से बातचीत में ये बात तब कही जब पूरे देश में उन किसानों के पांव के छालों की चर्चा थी, जो महाराष्ट्र के नासिक ज़िले से पैदल चलते हुए मुंबई पहुंचे थे.

किसानों की उस रैली में आदिवासी, जनजातीय किसानों की बड़ी संख्या थी. वो ज़मीन की मांग कर रहे थे.

लेकिन जिन किसानों के पास खेती के लिए अपनी ज़मीन है, उनकी क्या स्थिति है?

नोएडा के दायनतपुर गांव के किसान
BBC
नोएडा के दायनतपुर गांव के किसान

देश की राजधानी से महज 35 किलोमीटर दूरी पर बसे नोएडा के दयानतपुर गांव की तस्वीर एक झलक सामने रखती है.

यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे बसा ये गांव सड़क से गुजरते हुए खूबसूरत दिखता है. इन दिनों ज्यादातर खेतों में गेंहू की फसल लहलहा रही है. कई खेतों में सरसों के फूल भी दिखते हैं.

युवा ग्रामीणों के चेहरे भी खिले खिले नज़र आते हैं. उनमें से कुछ ब्रांडेड कपड़े भी पहने दिखते हैं.

लेकिन जब बात खेती की होती है तो क्या युवा और क्या अधेड़ सभी शिकायत का पिटारा खोल देते हैं.

एक्सप्रेस वे के बिल्कुल करीब से गुजरने वाली सड़क पर एक बैलगाड़ी में सवार धर्मवीर चौधरी अपने बेटे के साथ खेतों की ओर जा रहे हैं.

धर्मवीर किसान
BBC
धर्मवीर किसान

शिकायत

उनके परिवार के पास संयुक्त तौर पर कुल साठ बीघे ज़मीन है. ज़मीन की कीमत आसमान पर है लेकिन बात जब खेती से कमाई की होती है तो धर्मवीर कहते हैं, "हर तरफ दिक्कत ही दिक्कत है. "

धर्मवीर को शिकायत है कि उनके खेतों तक बिजली की पहुंच नहीं है. गेंहू की फसल को पांच बार पानी लगाना होता है और फसल की सिंचाई के लिए उन्हें हर बार इंजन (जनरेटर सेट) का सहारा लेना होता है.

धर्मवीर पर करीब पांच लाख रुपये का कर्ज़ है और वो चाहते हैं कि सरकार की ऋण माफी योजना में उन्हें भी लाभ मिले. वो अपने तीन बच्चों के लिए खेती से इतर रोजगार भी चाहते हैं.

धर्मवीर सीधे कहते हैं, "एक, दो लाख रुपया माफ है जाए. कोई और नयो काम है जाए "

बस्ती की तरफ जाने वाली सड़क पर थोड़ा अंदर गांव प्रधान बीना देवी मिलती हैं. वो अपने बेटे मनोज के साथ एक भैंसगाड़ी पर बैठकर घर की तरफ लौट रही थीं.

बीना देवी
BBC
बीना देवी

किसानों की मुश्किल

बातचीत की शुरुआत में बीना देवी को लगता है कि मुद्दा उनके प्रधान होने से जुड़ा है.

थोड़े संशय के साथ वो कहती हैं, "हमने गांव का पैसा गांव में लगा दियो हमने कुछ ना लियो. (हम) खेती में मेहनत करें और मेहनत का ही खाएं."

खेती के मुद्दे पर वो कुछ कहना तो चाहती हैं लेकिन फिर शब्दों को रोक लेती हैं. बीना देवी प्रधान हैं लेकिन वो जाहिर करती हैं कि उन्हें बाहर की दुनिया के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

वो कहती हैं, "मैं कहां बाहर जाऊं ? मोय का पतो बालकन ने ही पतौ है. प्रधानी तो मेरे बालकन ने मेरे आदमी ने ही चलाई."

इस बीच उनके बेटे मनोज कई बार अपनी राय रखने को बेताब दिखे.

बीना देवी के चुप होते ही वो कहते हैं कि भले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस हिस्से के किसान खुशहाल माने जाते हैं लेकिन फिलहाल ज्यादातर किसान मुश्किलों में घिरे हैं.

बीना देवी और उनके बेटे मनोज
BBC
बीना देवी और उनके बेटे मनोज

किस काम का बीमा?

वो दावा करते हैं, "कई बार तो लागत भी ना निकलै. कभी ओला तो कभी बारिश माहौल बिगाड़ दे."

उनके मुताबिक कभी लागत के बराबर फसल का मूल्य नहीं पाता और कभी प्राकृतिक आपदा संकट की वजह बन जाती है.

ऐसी मुश्किलों से बचाव के लिए उन जैसे किसान बीमा का 'सुरक्षा कवच' क्यों नहीं अपनाते, इस सवाल पर मनोज दावा करते हैं कि उनके पूरे गांव में किसी को फसल बीमा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.

थोड़ा सोचने के बाद वो कहते हैं, "एक बार सुना था. कहीं एक रुपये बीमा मिला था कहीं डेढ़ रुपये मिल रहे हैं तो उससे फायदा क्या है?"

आलू किसान
BBC
आलू किसान

'किसान के सुधरेंगे हालात'

करीब सौ किलोमीटर दूर मथुरा की मांट तहसील के अल्हेपुर गांव में किसानों के कुछ परिवार खेतों से आलू निकालने में जुटे हैं. पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी खेतों से निकले आलू के करीब बैठे हैं और आलू साफ करके उन्हें बोरियों में डाल रहे हैं.

जहां तक निगाह जाती है, हर खेत में लगभग ऐसा ही दृश्य दिखाई देता है.

करीब दो महीने पहले इस इलाके के किसान खेतों और सड़कों पर आलू फेंकने की वजह से चर्चा में थे.

लेकिन अब हालात थोड़े बदले से हैं. नई फसल नई उम्मीद के साथ आई है.

कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए आलू के बोरे पैक करने में लगे किसान अर्जुन सिंह कहते हैं, " आलू का भाव अच्छा चल रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों के पक्ष में होने जा रही है. ऐसी स्थिति रही तो दो साल में किसान चंगा हो जाएगा."

वृंदावन
BBC
वृंदावन

खेती के सिवाए क्या करें?

लेकिन हर किसान अर्जुन सिंह की तरह उत्साहित नहीं है. पास के खेत में मौजूद किसान वृंदावन को दो बातें लगातार परेशान कर रही हैं. पहली ये कि उत्तर प्रदेश सरकार की ऋण माफी योजना में दूसरे किसानों की तरह उनका कर्ज़ माफ नहीं हुआ. दूसरा बीए तक पढ़ाई करने के बाद भी उनका बेटा जितेंद्र बेरोजगार है.

वो मायूसी से कहते हैं, "हमारो कर्जा तो माफ भी न भयो. 60-70 हज़ार कौ कर्ज़ा है."

जितेंद्र की नौकरी के सवाल पर वो कहते हैं, "पांच लाख कहां से आएंगे जो दे दें. पांच लाख में एक बीघे खेत बिक जाएगो."

उनका आरोप है कि बिना पैसे दिए सरकारी नौकरी पाना मुश्किल है.

अर्जुन सिंह भी उनकी बात का समर्थन करते हैं. वो दावा करते हैं कि इस इलाके के किसानों और उनके परिवार के सदस्यों के पास खेती के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.

"हम और कुछ कर नहीं सकते सिवाए खेती के. औरतें और कहां काम करेंगी. हम कहीं बाहर मेहनत करेंगे तो खेत में कुछ नहीं होगा. खेत में करते हैं तो घाटा जाता है."

छिद्दी
BBC
छिद्दी

कर्ज़ का मर्ज

घाटे और कर्ज़ की चोट की आवाज़ ज़िले से दूसरे छोर पर बसे अड़ींग कस्बे में भी सुनाई देती है. खेत यहां भी लहलहाते दिखते हैं. गेंहू की फसल खड़ी है. लेकिन किसानों से बात करें तो उनके चेहरे पर हवाईयां उड़ती दिखती हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार की कर्ज़ माफी योजना के बाद चर्चित हुए किसान छिद्दी यहीं रहते हैं. उनके खेत भी यहीं हैं.

मुलाक़ात होने पर वो प्रशासन की ओर से मिला चर्चित प्रमाणपत्र दिखाते हैं जिसमें '0.01' रुपये यानी एक पैसा की धनराशि उनके खाते में क्रेडिट होने की बात कही गई है.

छिद्दी का दावा है कि देश के तमाम मीडिया संस्थान उन्हें मिले सर्टिफिकेट पर ख़बर बना चुके हैं लेकिन सरकार या प्रशासन ने अब तक उनकी सुध नहीं ली है.

वो कहते हैं, "एक पैसा माफ किया है. सरकार ने या तो मेरे साथ कोई खिलवाड़ किया है. या मजाक किया है."

छिद्दी को मिला सर्टिफिकेट
BBC
छिद्दी को मिला सर्टिफिकेट

पांच बीघे खेत के मालिक छिद्दी ने साल 2011 में एक लाख रुपये से कुछ ज्यादा रकम का कर्ज़ लिया था. उनका दावा है कि खेती में लगातार घाटा होने की वजह से परिवार के गुजारे के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ रही है.

छिद्दी के बेटे बनवारी एक पैसे की ऋण माफी को लेकर कहते हैं, "कोई इसमें सरकार की कमी बताता है. कोई बैंकों की कमी बताता है. डीएम साहब के यहां गए थे. वहां आश्वासन तो मिला लेकिन कोई रकम नहीं मिली. "

अड़ींग तहसील गोवर्धन में आता है. गोवर्धन तहसील में कर्ज़ माफी न होने की शिकायत करने वाले किसानों की बड़ी संख्या है. हर किसान खेती में घाटा होने का शिकवा भी करता है.

युवा किसान रघुवीर कहते हैं, "दस दिन पहले आंधी तूफान आया था मेरे खेत के सारे गेहूं गिरे हुए हैं. वक़्त पर ब्याज़ चुकाते रहने की वजह से मेरा कर्ज़ भी माफ नहीं हुआ."

कई अन्य किसानों ने दावा किया कि जो किसान वक्त पर कर्ज़ चुका रहे थे उन्हें सरकार की ऋण माफी योजना का फायदा नहीं मिल सका.

एक और किसान बिरजन का दावा है कि उनके बैंक ने कर्ज़ लेने की तारीख फरवरी 2016 की जगह अप्रैल 2017 दर्ज़ कर दी इससे उन्हें ऋण माफी योजना का लाभ नहीं मिल सका.

दिलीप कुमार यादव
BBC
दिलीप कुमार यादव

एक बीघे से कमाई एक हज़ार

ज्यादातर किसान कर्ज़ माफी को लेकर ही शिकायत क्यों कर रहे हैं, इस सवाल पर कृषि मामलों पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार दिलीप कुमार यादव कहते हैं कि फिलहाल किसानों की आमदनी इतनी कम है कि वो कर्ज़ के जाल में फंस से गए हैं और जिन किसानों को सरकार की माफी योजना का फायदा नहीं मिला उनकी मायूसी बढ़ गई है.

किसानों की आय के सवाल पर दिलीप कहते हैं, " मैंने एक दिन हिसाब लगाया. एक बीघा यानी तीन हज़ार स्क्वैयर मीटर ज़मीन में गेंहू की फसल पर साढ़े आठ हज़ार रुपये की लागत आती है और इसमें अधिकतम गेंहू होता है 25 मन. 14 सौ रुपये क्विंटल के हिसाब से कीमत कितनी हुई 14 या 15 हज़ार? फसल तैयार करने में पांच महीने लगते हैं. ऐसे में एक किसान एक बीघे से प्रति माह एक हज़ार रुपये कमाता है."

मथुरा तहसील के किसान नवाब सिंह भी दिलीप यादव के दावे की पुष्टि करते हैं.

वो कहते हैं, "मैंने एक ब्योरा निकाला था कि खेती से मुझे बचता क्या है. मेरे पास लगभग 23 -24 एकड़ ज़मीन है. मैं गेहूं और धान की खेती करता हूं. बीते साल मुझे एक लाख 85 हज़ार के करीब नेट प्रॉफिट मिला. इतनी ज़मीन लिए आदमी बैठा है, उसकी मार्केट वैल्यू देखिए और देखिए कि क्या मिल रहा है जबकि मैं बड़ा किसान हूं, तब ये स्थिति है. "

नवाब सिंह
BBC
नवाब सिंह

खरीद के नाम पर लूट?

नवाब सिंह हरियाणा के एक डिग्री कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफसर रह चुके हैं. रिटायरमेंट के बाद वो खेती करने के साथ किसानों की बेहतरी के लिए भी काम करते हैं.

किसानों की दशा बेहतर करने के सवाल पर वो कहते हैं कि सिंचाई और ख़रीद की सही व्यवस्था होने तक किसानों की स्थिति में सुधार नहीं आ सकता है.

वो कहते हैं, "किसान बंपर फसल तो उगा लेता है लेकिन जब उसकी मार्केटिंग करने जाता है तब उसकी हवा निकल जाती है. वहां लुटेरे खड़े हो जाते हैं. मंडी में किसान से लूट होती है. दो बार तो मैं हाइवे जाम कर चुका हूं इस मुद्दे पर लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता है."

दिलीप यादव इसे सरकार की नीतियों की कमी बताते हैं और दावा करते हैं कि जानकारी होने पर भी इस स्थिति को सुधारने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है.

वो सवाल करते हैं, " (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी पूरे विश्व में घूम रहे हैं. आज आप ऐसा सेटअप क्यों नहीं खड़ा कर सकते कि सारी खरीद पर सरकार का होल्ड हो. जिस व्यापारी को चाहिए वो सरकार से ले. निजी कंपनियां किसान का गेंहू 14 रुपये में खरीद कर तीस रुपये में बेच रही हैं. सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती जिसके पास पूरा तंत्र है. इसका मतलब है कि सरकार ने व्यापारियों को लूटने का लाइसेंस दे रखा है. "

किसान
BBC
किसान

लेकिन, पास खड़े किसानों की दिलचस्पी खरीद की दशा सुधारने से ज्यादा इस सवाल में है कि वो सरकार तक ये बात कैसे पहुंचा सकते हैं कि मानक पर खरे उतरने के बाद भी उनका कर्ज़ माफ नहीं हुआ है.

बीते मंगलवार को किसानों की समस्या को लेकर राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर जुटे किसानों की मांग को आवाज़ देने वाली भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं, " कर्ज तो सभी का माफ होना चाहिए, जिन किसानों ने किश्त भर दी उनका ही कर्ज माफ नहीं हुआ. (सरकार को समझना चाहिए)उनकी कोई गलती नहीं थी."

किसानों के फफोलों से शमी के घर की कलह ज़्यादा अहम क्यों?

किसान आंदोलन: चलते-चलते पत्थर हुए पैर

समाधान की घोषणा के बाद भी क्यों ठगा जाता है किसान?

देश के कृषि मंत्री इन दिनों क्या कर रहे हैं?

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Farmers and agriculture in india What is issue of west uttar pradesh farmers
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X