केंद्र के संशोधित ड्राफ्ट को किसानों ने किया स्वीकार, आंदोलन खत्म करने पर गुरुवार को अहम मीटिंग
नई दिल्ली, दिसंबर 08। पिछले एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों की मांग को लेकर अब भारत सरकार के तेवर नरम पड़ रहे हैं। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद अब सरकार किसानों की अन्य मांगों पर भी मानती हुई दिख रही है। दरअसल, केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच अन्य मांगों को लेकर चल रही बातचीत का अब नतीजा निकलता हुआ दिख रहा है। बुधवार को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज जो सरकार की तरफ से हमारी मांगों को लेकर ड्राफ्ट आया है, हमने उसे स्वीकार कर लिया है, अब बस हम सरकार की तरफ से ऑफिशियल लेटर का इंतजार कर रहे हैं।
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क्या गुरुवार को खत्म होगा किसान आंदोलन?
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि सरकार की तरफ से जैसे ही ऑफिशियल लेटर आ जाएगा तो उसके बाद हम फिर से एक मीटिंग करेंगे और उसमें फैसला लिया जाएगा कि आंदोलन को खत्म करना है या जारी रखना है। चढ़ूनी ने बताया कि ये मीटिंग हमने गुरुवार को 12 बजे के करीब रखी है, हमें उम्मीद है कि सरकार की तरफ से लेटर उससे पहले आ जाएगा। चढ़ूनी ने बताया कि मंगलवार को पहले सरकार की तरफ से जो ड्राफ्ट भेजा गया था, हमने उसे स्वीकार नहीं किया था, हमने उसमें कुछ सुधार की मांग की थी और उसे लौटा दिया था। अब सरकार ने दो कदम और बढ़ाते हुए नया ड्राफ्ट भेजा है, जिसे हमने स्वीकार कर लिया है।
लखीमपुर खीरी की घटना पर बोले राकेश टिकैत
वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अभी सरकार से लखीमपुर खीरी की घटना पर चर्चा चल रही है। जब मीडिया ने राकेश टिकैत से पूछा कि क्या केंद्र के ड्राफ्ट में लखीमपुर खीरी कांड का मुद्दा भी है तो उन्होंने कहा कि अभी इस पर चर्चा चल रही है। हम अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने जो संशोधित ड्राफ्ट भेजा था, उसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है। इस ड्राफ्ट के अनुसार, मृतकों को 5 लाख का मुआवजा राज्य सरकार देगी। वहीं, राज्य सरकार ही किसानों पर केस वापस लेगी। अब इसे सरकार को वापस भेजा गया है। जैसे ही सरकार अधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा करेगी, हम आंदोलन खत्म कर देंगे।
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