दिल्ली पुलिस ने कहा- 26, 27 नवंबर के किसान मार्च को नहीं दी गई परमिशन, प्रदर्शन हुआ तो होगी कार्रवाई
26, 27 नवंबर के किसान मार्च को राजधानी में आने की इजाजत नहीं: दिल्ली पुलिस ने कहा- 26, 27 नवंबर के किसान मार्च को राजधानी में आने की इजाजत नहीं
नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर को राजधानी दिल्ली मार्च करने का ऐलान किया है। वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा है कि कोरोना के चलते मार्च को इजाजत नहीं दी गई है। किसान संगठनों के मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता, डीसीपी ईश सिंघल ने कहा है कि कोरोनोवायरस के दौरान किसी भी सभा की अनुमति राजधानी में नहीं है। कोरोना की स्थिति बेहतर होने पर किसान अनुमति लेकर यहां आ सकते हैं।
दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया है कि 26 और 27 नवंबर को प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली आते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है। इसके तहत किसान 26 नवंबर को दिल्ली पहुंचेंगे। किसान यूनियन, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान संघ ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर इस मार्च का ऐलान किया है। किसानों का कहना है कि करीब 500 किसान संगठन इस मार्च में शामिल हैं।
किसानों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति
खेती से जुड़े इन नए कानूनों के खिलाफ बुलाए गए इस मार्च को लेकर किसानों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। किसान नेताओं ने कहा है कि हरियाणा में भाजपा की सरकार किसानों की गिरफ्तारियां कर रही है। वहीं दिल्ली में एंट्री ना मिलने को लेकर किसान संगठनों का कहना है कि अगर उन्हें रोका जाता है तो पड़ोसी राज्यों से दिल्ली आने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए जाएंगे। रास्ते में जहां भी रोका जाएगा, वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।
मोदी सरकार तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इन कानूनों के खिलाफ बीते पांच महीने से पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान सड़कों पर हैं।