कृषि आय में वृद्धि (अक्टूबर-दिसंबर 2018) 14 साल के निचले स्तर पर पहुंची-रिपोर्ट
नई दिल्ली- आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है। पिछले वर्षों में ऊपज भले ही बढ़ी हो लेकिन, उस अनुपात में कृषि से होने वाली आय में वृद्धि नहीं हुई है। यह स्थिति तब बताई जा रही है, जब मोदी सरकार ने 22 अनाजों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ सौ प्रतिशत तक निश्चित किया है।
क्यों
है
सरकार
के
लिए
बुरी
खबर?
मोदी
सरकार
2022
तक
किसानों
की
आय
दोगुनी
करने
का
दावा
कर
रही
है।
लेकिन,
इंडियन
एक्सप्रेस
की
खबर
के
अनुसार
पिछले
साल
अक्टूबर
से
दिसंबर
में
कृषि
क्षेत्र
के
आऊटपुट
में
सिर्फ
2.7
प्रतिशत
की
वृद्धि
दर्ज
की
गई।
यह
पिछले
11
तिमाहियों
में
सबसे
कम
है।
एनडीए
सरकार
के
लिए
इससे
भी
ज्यादा
चिंता
की
बात
ये
है
कि
यह
धीमी
वृद्धि
भी
'वास्तविक'
संदर्भों
(यानि
स्थिर
कीमतों
पर
)
में
है,
मौजूदा
कीमतों
पर
वो
वृद्धि
भी
'नाम
मात्र'
की
है।
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सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि पिछली तिमाही में 2017 की उसी तिमाही की तुलना में कृषि उत्पादन में 2.67 प्रतिशत का इजाफा हुआ। लेकिन, मौजूदा कीमतों के हिसाब से देखें तो यह सिर्फ 2.04 फीसदी की बढ़ोत्तरी है, क्योंकि कीमतों में तबसे 0.61 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। 2011-12 की नई बेस सीरीज के अनुसार यह आंकड़ा किसी भी तिमाही में सबसे कम है और अक्टूबर-दिसंबर 2004 (1999-2000 जीडीपी सीरीज पर आधारित) से भी खराब है, जब इसे माइनस 1.1 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
किसानों
की
बचत
घटी
यही
नहीं
मौजूदा
दरों
पर
अक्टूबर-दिसंबर,2018
में
कृषि
क्षेत्र
में
ग्रॉस
वैल्यू
एडेड
(GVA)
का
विकास
लगातार
सातवीं
बार
सिंगल
डिजिट
में
रहा
है।
यह
सिलसिला
नोटबंदी
के
तुरंत
बाद
यानि
अप्रैल-जून
2017
में
रबी
फसलों
के
साथ
शुरू
हुआ
था।
गौरतलब
है
कि
ग्रॉस
वैल्यू
एडेड
(GVA)
का
मतलब
एक
अर्थ
में
वह
आय
है,
जो
किसानों
के
पास
सारे
खर्चों
को
निकालने
के
बाद
बच
जाता
है।
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