'हर हर महादेव' जयकारे के बीच बंद हुए केदारनाथ के कपाट, श्रद्धालुओं ने किए पंचमुखी मूर्ति के दर्शन
नई दिल्ली। भैया दूज के शुभ मुहूर्त पर केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए आज (29 अक्टूबर) बंद हो गया है। सुबह 8.30 बजे आरती और पूजा के बाद मंदिर के पुजारियों ने कपाट बंद किया इस दौरान दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने 'हर हर महादेव' के नारे भी लगाए। परंपरा के अनुसार सुबह 6.30 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए भगवान केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति को डोली में विराजमान कर मंदिर परिसर में रखा गया। कपाट बंद होने से पहले वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। केदारनाथ के कपाट अब अगले वर्ष खोले जाएंगे।
बता दें, की मंदिर परिसर में भारतीय सेना का बैंड भी पहुंचा था, उन्होंने आरती की धुन बजाकर बाबा केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना किया। 31 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर में मूर्ति को विराजमान किया जाएगा, अगले 6 महीने तक केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति वहीं विराजमान रहेगी। परंपरा के अनुसार शीतकाल के लिए केदारनाथ के कपाट बंद किये जाते हैं इसकी सभी तैयारियां श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) द्वारा की जाती हैं।
यह भी पढ़ें: टिक टॉक यूजर्स के लिए बड़ी खबर, अमेरिका में बैन हो सकता है ऐपकपाट बंद होने से पहले किया जाता है ये काम
विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। शीतकाल के समय मंदिर के कपाट को 6 महीने के लिए बंद कर दिया जाता है। कपाट बंद करने से पहले वहां के मुख्य पुजारी केदार लिंग द्वारा बाबा के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप दे कर भष्म से ढक देते हैं। इसके बाद पंचमुखी मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है और डोली में रख कर भक्तजनों के दर्शन के लिए मंदिर के परिसर में परिक्रमा कराई जाती है।
परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट बंद होने के बाद उसे ताले से सील कर दिया जाता है और चाभी उपजिलाधिकारी को सौंप दी जाती है। अभी यह चाभी वहां के उपजिलाधिकारी वरुण अग्रवाल को सौंपी गई है। इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली के शीतकाल के लिए उनके सिंहासन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान होता है।