गिरता रुपया, चढ़ता तेल, आप पर कितना असर
वो कहते हैं, "कच्चे तेल की ऊंची कीमत, डॉलर का ऊंचाई पर होना और केंद्र सरकार की ओर से लगाए कर की वजह से तेल की कीमत चढ़ रही हैं. इसी सरकार के कार्यकाल में जब कच्चे तेल की कीमत कम थीं, तब सरकार लगातार कर बढ़ाती गई. लेकिन अब वो कर कम नहीं किए गए हैं."
भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है. रुपया सोमवार को डॉलर के मुक़ाबले 21 पैसे टूट गया. अब अमरीकी डॉलर ने रुपये के मुक़ाबले रिकॉर्ड ऊंचाई (71.21) हासिल कर ली है.
वहीं पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें भी नई ऊंचाई पर पहुंच गईं. इंडियन ऑयल की ओर से एसएमएस के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 79.15 रुपये और मुंबई में 86.56 रुपये तक पहुंच गई.
वहीं दिल्ली में एक लीटर डीज़ल 71.15 रुपये और मुंबई में 75.54 रुपये की कीमत पर बिका.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सोमवार को रुपये में डॉलर के मुक़ाबले रिकॉर्ड गिरावट देखी गई और ये 71.21 पर बंद हुआ. यानी अब एक अमरीकी डॉलर के लिए 71.21 रुपये देने होंगे.
रुपये में गिरावट और पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमत के बीच अर्थशास्त्री महंगाई बढ़ने का अनुमान जाहिर कर रहे हैं.
क्यों गिर रहा है रुपया?
भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत ने अप्रैल से जून 2018 यानी बीती तिमाही के दौरान 8.2 फ़ीसदी की आर्थिक वृद्धि दर्ज की है. पिछली तिमाही में ये दर 7.7 फ़ीसदी थी.
ऐसे में भारतीय मुद्रा लगातार कमज़ोर क्यों हो रही है, इस सवाल के जवाब में अर्थशास्त्री कई कारण गिना रहे हैं.
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल कहते हैं, " दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा डॉलर के मुक़ाबले कमजोर हो रही हैं. तुर्की और अर्जेंटीना जैसे देशों की मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है."
वो अमरीका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार को भी रुपये की गिरावट से जोड़कर देखते हैं.
जिंदल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को भी रुपये की कमजोरी की वजह बताते हैं. सोमवार को एक बैरल ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत 78 डॉलर तक पहुंच गई.
वो कहते हैं, "कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत का असर भी रुपये पर हुआ है. हालात अगर ऐसे ही बने रहे तो रुपया डॉलर के मुक़ाबले और गिर सकता है."
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क्यों महंगा हो रहा है पेट्रोल-डीज़ल ?
भारतीय अर्थव्यवस्था, बाज़ार और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत पर नज़र रखने वाले विश्लेषक रुपये की गिरती कीमत और कच्चे तेल की बढ़ती कीमत को पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमत की अहम वजह बता रहे हैं.
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल भी इस आकलन को सही ठहराते हैं.
वो कहते हैं, "कच्चे तेल की ऊंची कीमत, डॉलर का ऊंचाई पर होना और केंद्र सरकार की ओर से लगाए कर की वजह से तेल की कीमत चढ़ रही हैं. इसी सरकार के कार्यकाल में जब कच्चे तेल की कीमत कम थीं, तब सरकार लगातार कर बढ़ाती गई. लेकिन अब वो कर कम नहीं किए गए हैं."
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'बढ़ सकती है महंगाई'
रुपये में गिरावट और तेल महंगा होने का असर आपकी जेब पर भी दिख सकता है. अर्थशास्त्रियों की राय है कि इससे आम लोगों का घरेलू बजट प्रभावित होगा.
अर्थशास्त्री आकाश जिंदल कहते हैं, "इसके असर से महंगाई बढ़ सकती है. डीज़ल महंगा होने से किसानों की तकलीफ बढ़ती है. कमाई और वेतन उस हिसाब से नहीं बढ़ रहे हैं."
बढ़ती महंगाई का असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है.
जिंदल कहते हैं, "आर्थिक पहलू की बात करें तो महंगाई में इजाफे से सरकारी घाटा बढ़ सकता है. आज 8.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ पर खुशी जाहिर की जा रही है लेकिन महंगाई बढ़ी तो इस पर भी असर हो सकता है. चालू खाते का घाटा भी बढ़ सकता है."
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