इसरो फेक जासूस केस में फंसी मालदीव की महिला ने कहा- केरल पुलिस को छोड़ूंगी नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह वैज्ञानिक नांबी नारायण को फेक इसरो जासूसी के मामले में बड़ी राहत देते हुए, उन्हें मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये देने का ऐलान किया था। सु्प्रीम कोर्ट ने इस केस में केरल पुलिस के खिलाफ जांच की मांग की थी। इस केस में 1994 में गिरफ्तार हुई मालदीव की मरियम रशीदा ने अब केरल पुलिस के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। रशीद ने ना सिर्फ मआवजे की मांग की है, बल्कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मानहानी का केस करने के लिए भी कहा है।
इंग्लिश डेली 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' से बात करते हुए कि मरियम ने कहा कि उसे नंबी नारायणन का नाम लेने के लिए कस्टड़ी में बहुत टॉर्चर किया गया। उसने कहा, 'मैंने अपनी इज्जत गवां दी है। मैं उन्हें छोड़ूंगी नहीं।' पिछले सप्ताह जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो मरियम ने कहा कि नंबी नारायण ने इस दौरान अपनी इज्जत और करियर में जो कुछ खोया है, उसे देखते हुए यह मुआवजा बहुत ही कम है।
इस मामले में रशीदा ने 1994 से 1998 तक केरल की जेल में बिताना पड़ा। हालांकि, इस मामले में सीबीआई ने 1996 में ही क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन केरल सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई, जिसके बाद मरियम को सुरक्षा का हवाला देते हुए जेल में रहने के लिए बोला गया।
अक्टूबर 1994 में इस केस की शुरुआत उस समय हुई जब मालदीव की मरियम राशिदा को तिरुवंतपुरम से गिरफ्तार किया गया। मरियम पर आरोप लगे कि उनके पास इसरो के रॉकेट इंजन के कुछ चित्र है, जिसे वह पाकिस्तान को बेचने जा रही थी। केरल पुलिस ने इस केस में इसरो के क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिक नंबी नारायणन को भी नवंबर में गिरफ्तार कर लिया था।
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