दुश्मन पर वार के लिए तैयार आईएएफ का 'अस्त्र', 18 मार्च को दिखेगा नमूना
नई दिल्ली। 18 मार्च को राजस्थान के पोखरण में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) का इवेंट आयरन फिस्ट शुरू होने वाला है। इस कार्यक्रम के दौरान आईएएफ अपने उस हथियार का एक नमूना पेश करेगी जो दुश्मन पर कहर बरपाने के लिए तैयार हो चुका है।
क्या है आईएएफ का ई-ट्रेनिंग प्रोजेक्ट
18 मार्च को जब आयरन फिस्ट की शुरुआत होगी तो तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे।
हम बात कर रहे हैं इंडियन एयरफोर्स के उस मिसाइल के बारे में जिसे विकसित करने में करीब एक दशक का समय लगा।
इंडियन एयरफोर्स के हैरान कर देने वाले ऑपरेशंस
अब यह मिसाइल आईएएफ के पास मौजूद हथियारों का हिस्सा बनने को तैयार हो चुकी है। पोखरण में पहली बार इस मिसाइल को लांच करने के साथ ही इसे दुनिया के सामने लाया जाएगा।
आइए आपको इस मिसाइल से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताते हैं।
अगले वर्ष होगी शामिल
आईएएफ को उम्मीद है कि अस्त्र मिसाइल अगले वर्ष तक आईएएफ के हथियारों में शामिल हो जाएगी।
सुखोई से होगी लांच
अस्त्र को मोस्ट एडवांस जेट सुखोई 30एमकेआई के जरिए लांच किया जाएगा। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी इस मिसाइल की क्षमता का गवाह बनेंगे। हवा से हवा में सटीक निशाना साधने वाली इस हाई टेक्नोलॉजी वाली मिसाइल को पहली बार दागा जाएगा।
15 किलो तक का एक्सप्लोसिव
अस्त्र की लंबाई 3.57 मीटर और इसका व्यास 178 मिलीमीटर है। जिस समय इसे लांच किया जाएगा इसका वजन 154 किलोग्राम होगा। इस मिसाइल में 15 किलोग्राम तक एक्सप्लोसिव्स होता है।
80 किमी तक का निशाना
डीआरडीओ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यह मिसाइल 20 किलोमीटर से 80 किलोमीटर के तक के लक्ष्य को पर आसानी से निशाना लगा सकती है।
क्या हो अगर समंदर से किया जाएगा लांच
अस्त्र को अगर समुद्र स्तर से लांच किया जाएगा तो यह 20 किमी तक का लक्ष्य पर निशाना लगा पाएगी। 8,000 मीटर की ऊंचाई से फायर करने पर 44 किमी और 15,000 मीटर से फायर करने पर 80 किमी दूर के लक्ष्य पर निशाना लगाने में सक्षम है।
क्या हो अगर समंदर से किया जाएगा लांच
अस्त्र को अगर समुद्र स्तर से लांच किया जाएगा तो यह 20 किमी तक का लक्ष्य पर निशाना लगा पाएगी। 8,000 मीटर की ऊंचाई से फायर करने पर 44 किमी और 15,000 मीटर से फायर करने पर 80 किमी दूर के लक्ष्य पर निशाना लगाने में सक्षम है।
अभी जारी है मिसाइल की टेस्टिंग
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस मिसाइल को बनाने में 10 वर्ष से ज्यादा का समय लगा है। फिलहाल इसकी टेस्टिंग जारी हैं और इस साल के अंत तक टेस्टिंग पूरा हो जाने की उम्मीदें हैं। एक बार नाकाम होने की बात छोड़ दें तो यह मिसाइल अब तक सभी टेस्ट्स में सफल रही है।
अग्नि से ज्यादा एडवांस अस्त्र
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की मानें तो इस मिसाइल की टेक्नोलॉजी 'अग्नि' से भी ज्यादा एडवांस है। अस्त्र में लगे इक्विपमेंट्स मिसाइल को लक्ष्य से हटा देने पर भी उसे तलाश सकते हैं। इसी टेक्नोलॉजी की वजह से इसे डेवलप करने में इतना समय लगा है।
लगा सकती है एकदम सटीक निशाना
विजुअल रेंज से अलग जाकर भी टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती है। मिसाइल में एक्टिव रडार टर्मिनल गाइडेंस, इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स और स्मोक प्रपोल्सन्स इंस्टॉल किए गए हैं। इसकी वजह से मिसाइल तेजी से टारगेट का पीछा करके उसे खत्म कर सकती है। अस्त्र ने पैंतरे बदलने वाले लक्ष्यों को भी परीक्षण के दौरान बहुत सटीक ढंग से भेदा है।
अभी बाकी है एक इम्तिहान
अब जो असली टेस्ट होना है उसमें दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स की तरह पैंतरे बदलने वाले लक्ष्यों को भेदना है। दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स द्वारा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एरिया बना कर मिसाइलों को लक्ष्य से भटकाने की कोशिश करने की स्थिति में उससे निकल कर इसमें सटीक निशाना साधने की क्षमता है।