काम पर लौटने वाले मजदूरों के लिए अच्छा ऑफर, फ्लाइट का टिकट और फ्री में रहने की व्यवस्था
नई दिल्ली: मार्च की शुरूआत में कोरोना वायरस के मामले देश में अचानक से बढ़ने लगे। इस बीच 25 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया। जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित प्रवासी मजदूर हुए। उनके पास न तो दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में रहने के लिए पैसे थे और न ही घर जाने का साधन। इस बीच कोई पैदल, तो कोई साइकिल से अपने गांव पहुंचा। सरकार ने अलनॉक-1 में ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां शुरू कर दीं, लेकिन अब फैक्ट्रियों और निजी संस्थानों में काम करने के लिए मजदूर नहीं हैं।
फ्री फ्लाइट का टिकट
Financial Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई बड़ी कंपनियों में काम तो शुरू हो गया है, लेकिन वहां न मजदूर हैं न ही कर्मचारी। ऐसे में उन्हें वापस बुलाने के लिए कंपनियां तरह-तरह के ऑफर दे रही हैं। जिसमें फ्री फ्लाइट टिकट, फ्री खाना और फ्री में रहने की व्यवस्था शामिल है। इन सब ऑफर के बावजूद भी मजदूर बड़े शहरों में आने से कतरा रहे हैं। वहीं कई कंपनियां आसपास के लोगों को रखने पर जोर दे रही हैं, ताकी भविष्य में अगर कोरोना वायरस की वजह से हालात खराब हों, तो उनको किसी तरह की समस्या न हो।
सुरक्षा की भी ले रहीं जिम्मेदारी
राष्ट्रीय रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष राजन बंदेलकर के मुताबिक मजदूरों को लॉकडाउन में बहुत ज्यादा दिक्कतें हुई थीं। जिस वजह से उन्हें वापस आने में वक्त लगेगा। कंपनियां इसके लिए ग्राम स्तर पर प्रतिनिधियों से बात कर रही हैं। साथ ही उनकी सुरक्षा का वादा भी किया जा रहा है। कई जगहों पर तो मजदूरों के लिए अब बस की व्यवस्था भी करवाई जा रही है। निर्माण प्रोजेक्ट का भी यही हाल है, वहां भी मजदूरों की कमी से काम रुका पड़ा है।
खुद भी आने को मजबूर हैं मजदूर
लॉकडाउन को साढ़े तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है। बिना काम गांवों में बैठे मजदूरों के सामने बड़ी आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है। राज्य सरकारें मनरेगा के तहत काम तो उपलब्ध करवा रही हैं, लेकिन गांव लौटे प्रवासियों की संख्या काफी ज्यादा है। इस वजह से अब मजदूर खुद बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं, ताकी रोजी-रोटी की व्यवस्था की जा सके। फिर भी प्रवासी मजदूरों की कोशिश घर के पास रोजगार खोजने की है।
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