Fact Check: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नहीं कहा, LAC में भारत की तरफ मौजूद हैं चीनी सैनिक
नई
दिल्ली।
रक्षा
मंत्री
राजनाथ
सिंह
का
एक
इंटरव्यू
मंगलवार
को
चैनल
पर
टेलीकास्ट
हुआ
था।
इस
चैनल
की
तरफ
से
दावा
किया
गया
कि
रक्षा
मंत्री
ने
यह
बात
स्वीकार
कर
ली
है
कि
चीनी
सैनिकों
एलएसी
पार
करके
भारत
की
सीमा
में
दाखिल
हो
गए
हैं।
जबकि
अब
सरकार
की
तरफ
से
इस
बात
का
खंडन
आ
गया
है।
सरकार
ने
स्पष्ट
कर
दिया
है
कि
रक्षा
मंत्री
ने
ऐसा
नहीं
कहा
था।
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PIB ने किया चैनल के दावे का खंडन
जो इंटरव्यू टेलीकॉस्ट हुआ था वह नेटवर्क 18 पर था। पीआईबी की तरफ से इंटरव्यू में उस बात का खंडन किया गया है कि लद्दाख में कुछ चीनी सैनिक मौजूद हैं। पीआईबी के मुताबिक रक्षा मंत्री का इशारा एलएसी के अलग-अलग नजरिए को लेकर और चीनी सेना की मौजूदगी को लेकर था। उनके इस कथन को गलत तरीके से पेश किया जिससे इस बात का अंदेशा हुआ कि वह एलएसी में भारत की तरफ मौजूद चीनी जवानों की बात कर रहे थे। इस इंटरव्यू के मुताबिक रक्षा मंत्री ने कहा, 'हमें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार, चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से दूर अभ्यास करती थी। लेकिन अब सैनिक एलएसी के करीब आ गए हैं।'
छह जून को मिलिट्री लीडर्स की मीटिंग
इंटरव्यू में रक्षा मंत्री के हवाले से दावा किया गया, 'मुझे इस बारे में भी जानकारी मिली कि चीन के सैनिक एलएसी से 10-12 किलोमीटर दूर हैं। कुछ क्षेत्रों में उनकी पेट्रोलिंग पार्टी आ गई थी, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है।' इंटरव्यू के मुताबिक रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों ने कुछ ऐसे इलाकों में टेंट भी लगा लिए थे, जहां पहले उनकी मौजूदगी नहीं थी। हालांकि अब चैनल ने भी इस बात का खंडन कर दिया है और इंटरव्यू को वापस ले लिया है। अब छह जून को भारत और चीन के सीनियर मिलिट्री लीडर्स की मुलाकात होनी है। इस मीटिंग में इस विवाद का हल निकलने की उम्मीद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जताई है।
'भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा'
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटने वाला है। जब उनसे पूर्वी लद्दाख में वर्तमान हालातों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि एलएसी को लेकर चीन और भारत में मतभेद है। इसी मतभेद के चलते चीनी जवानों ने यह हरकत की। उनकी मानें तो भारत को जो कदम उठाना चाहिए था, उसने उठाया। पिछले दिनों राजनाथ सिंह की तरफ से पिछले 27 दिनों से लद्दाख में जारी टेंशन पर पहली बार बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है जाकि लद्दाख में जारी टकराव को सुलझाया जा सके।
नॉर्दन आर्मी कमांडर पहुंचे लद्दाख
कुछ सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने साल 1999 में हुई कारगिल की जंग के बाद सीमा पर इस स्तर का तनाव देखा है। एलएसी पर तनावपूर्ण हालातों के बीच ही नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने लद्दाख का दौरा किया। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सेना ने अपनी दो अतिरिक्त डिविजन को लद्दाख में तैनाती के लिए रवाना कर दिया है। सूत्रों ने बताया है कि पिछले हफ्ते जवानों को लद्दाख के लिए रवाना किया गया है। कारगिल वॉर हीरो लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, सेना की उस नॉर्दन कमांड के कमांडर हैं जिस पर पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर की बड़ी जिम्मेदारी है।