भारतीय सेना के कश्मीरी घरों में आग लगाने का सच: फ़ैक्ट चेक
सोशल मीडिया पर कुछ जलते हुए मकानों का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि भारतीय सेना ने भारत प्रशासित कश्मीर के बांदीपुरा इलाक़े में लोगों के घरों में आग लगा दी है.
क़रीब सवा मिनट का यह वीडियो फ़ेसबुक पर दस हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया गया है और तीन लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने इस दावे को ग़लत पाया है.
सोशल मीडिया पर कुछ जलते हुए मकानों का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि भारतीय सेना ने भारत प्रशासित कश्मीर के बांदीपुरा इलाक़े में लोगों के घरों में आग लगा दी है.
क़रीब सवा मिनट का यह वीडियो फ़ेसबुक पर दस हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया गया है और तीन लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने इस दावे को ग़लत पाया है. ये कोई ताज़ा मामला नहीं है, बल्कि डेढ़ साल पुरानी घटना है.
कश्मीर से चलने वाले न्यूज़ पोर्टल 'राइज़िंग कश्मीर' और 'कश्मीर ऑब्ज़र्वर' के अनुसार 27 मार्च 2018 को उत्तरी कश्मीर के बारामुला ज़िले के लाचीपोरा गाँव में यह घटना हुई थी.
इस गाँव के चार घरों में आग लगी थी जिसके कारण सात परिवार प्रभावित हुए थे और उनके क़रीब 20 मवेशी इस आग में झुलस गये थे.
गाँव के लोगों ने यह आरोप लगाया था कि पास में कोई अग्निशमन सुविधा न होने के कारण आग इतनी बढ़ गई.
ग़लत ख़बरें और भी
सोमवार को भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भारत प्रशासित कश्मीर से धारा-370 हटाये जाने की घोषणा से पहले ही जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और दूरभाष सेवाएं बंद कर दी गयी थीं.
शनिवार को जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती के ऑर्डर दिये गए थे जिसे लेकर काफ़ी हलचल बढ़ी.
अभी भी जम्मू-कश्मीर से संपर्क टूटा हुआ है और वहां की स्थिति के बारे में तरह-तरह के क़यास लगाये जा रहे हैं.
लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर से जुड़ी कुछ अफ़वाहें भी फैलाई जा रही हैं जिनकी सच्चाई हमने पता की.
कश्मीरी झंडा हटा?
दक्षिणपंथी रुझान वाले तमाम फ़ेसबुक ग्रुप्स में श्रीनगर के नागरिक सचिवालय की यह तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि सरकारी बिल्डिंग से अब कश्मीर का झंडा हटा दिया गया है.
अपनी पड़ताल में हमने पाया कि यह तस्वीर साल 2016 की है जिसे 'कल की तस्वीर' और 'आज की तस्वीर' में तुलना करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस पुरानी फ़ोटो को एडिट कर इससे कश्मीर का झंडा मिटा दिया गया है और बिल्डिंग के ऊपर सिर्फ़ तिरंगा लगा दिया गया है.
सोशल मीडिया पर ग़लत सूचना के साथ शेयर की जा रही इस तस्वीर को अगर आप ग़ौर से देखेंगे तो पाएंगे कि झंडों के अलावा इन दो तस्वीरों में बाक़ी सभी चीज़ें हूबहू हैं. सचिवालय के सामने खड़े लोग, उनके कपड़े और उनकी स्थिति भी एक जैसी है.
समाचार एजेंसी एएनआई, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल और बीजेपी कश्मीर के प्रवक्ता अल्ताफ़ ठाकुर ने इस बात की पुष्टि की है कि नागरिक सचिवालय पर पहले की तरह दोनों झंडे अब भी लगे हुए हैं.
पुलिस का लाठीचार्ज?
दक्षिणपंथी रुझान वाले कई यूज़र सोशल मीडिया पर मुस्लिम लोगों की पिटाई का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों और पत्थरबाज़ों को पीटना शुरू कर दिया है.
इस वीडियो में दिखाई देता है कि पुलिस ने कुछ लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया है और उन्हें पीट रही है.
जिन ग्रुप्स में यह वीडियो शेयर किया गया है, उनमें लिखा है, "कश्मीर में धारा-370 और 35-ए के हटते ही प्रसाद बंटना शुरु हो गया है".
लेकिन ये एक भ्रामक सूचना है. रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि वीडियो अगस्त 2015 का है और ये घटना बिहार की राजधानी पटना में स्थित गर्दनीबाग स्टेडियम के पास हुई थी.
पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मदरसों में पढ़ाने वाले टीचर्स ने राज्य के 2400 मदरसों में काम की स्थिति सुधारने की माँग को लेकर गर्दनीबाग स्टेडियम में प्रदर्शन किया था. जैसे ही ये प्रदर्शनकारी स्टेडियम से बाहर आये, पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज कर दिया था.
इस घटना के बाद बिहार पुलिस ने अपनी सफ़ाई में कहा था कि प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री आवास की तरफ़ जाने की कोशिश कर रहे थे.
गिलानी का पुरानी वीडियो
पाकिस्तान में भारत प्रशासित कश्मीर के अलगाववादी नेता और हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस (गिलानी गुट) के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी का एक वीडियो काफ़ी शेयर किया जा रहा है.
जिन्होंने इस वीडियो को शेयर किया है, उन्होंने लिखा है कि भारत सरकार ने धारा-370 हटाने से पहले देखिए शाह गिलानी को कैसे क़ैद किया.
इस वीडियो में गिलानी को कहते सुना जा सकता है, "दरवाज़ा खोलो. मैं भारतीय लोकतंत्र के जनाज़े में शामिल होना चाहता हूँ."
हमने पाया कि इस वीडियो का जम्मू-कश्मीर के मौजूदा घटनाक्रम से कोई वास्ता नहीं है. ये वीडियो अप्रैल 2018 का है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल 2018 में शोपियाँ ज़िले में भारतीय फ़ौज और चरमपंथियों के बीच हुए तीन बड़े एनकाउंटरों के बाद सैय्यद अली शाह गिलानी समेत अन्य अलगाववादी नेताओं ने मार्च का आह्वान किया था.
लेकिन भारतीय सेना ने मार्च शुरु होने से पहले ही गिलानी को उनके घर में नज़रबंद कर दिया था. ये वायरल वीडियो उसी समय का है.
पाकिस्तान में इससे पहले अलगाववादी नेता यासीन मलिक की दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में मौत की अफ़वाह फैली थी जिसे तिहाड़ जेल प्रशासन ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि यासीन मलिक बिल्कुल ठीक हैं.