स्मार्टफोन्स से सूख रही यूजर्स की आंखें, पिछले 4 सालों में 54 प्रतिशत बढ़ी आई ड्रॉप्स की बिक्री
नई दिल्ली। बेसक भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। 2018 की पहली तिमाही के दौरान हर दिन 42 लाख से अधिक स्मार्टफोन की बिक्री हुई है। लेकिन एक तरह देश डिजिटल दुनिया की ओर से तेजी से बढ़ रहा है तो दूसरी ओर लोगों के सेहत पर इसका बुरा असर भी देखने को मिला है। मेडिकल विशेषज्ञों की माने तो पिछले चार सालों में आंखों में डाली जाने वाली ड्रॉप्स के बाजार में 54 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। नीचे दिए आंकड़ोंसे समझ सकते हैं कि लोगों की आंखों पर स्मार्टफोन्स का क्या असर हुआ है।
स्मार्टफोन के नीले प्रकाश से हो रहा ज्यादा नुकसान
मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन यूजर को सबसे ज्यादा नुकसान उससे निकलने वाली नीले प्रकाश की वजह से हुआ है। खासकर 20 से 30 साल के उम्र के लोगों में आंखों दर्द, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, गर्दन और कंधे के दर्द की शिकायत मिल रही है। आंख के 10 रोगियों में से 7 की आंखों में डिजिटल विजन सिंड्रोम की समस्या देखने को मिली है।
हर दिन 10 घंटे स्मार्टफोन पर बिता रहे भारतीय
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हम हर दिन लगभग 10 घंटे स्मार्टफोन की नीली रोशनी का सामना कर रहे हैं। जिसकी वजह से आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है। आंख की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे लोगों में 70 प्रतिशत सूखे आंखों से पीड़ित पाए जाते हैं। इनमें अधिकतर की आयु 20 से 30 साल होती है। 2017 में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 5000 रोगियों नेत्रहीन ओपीडी में इलाज कराए है, इसमें 50 प्रतिशत शुष्क आंखों से पीड़ित हैं, एक ऐसी स्थिति जिसमें आंखें पर्याप्त आँसू पैदा करने में असफल होती हैं। इनमें से 20 प्रतिशत मरीज़ 40 साल से कम उम्र के थे।
आई डॉप की बिक्री दोगुनी हो गई
AIOCD- AWACS के डेटा के अनुसार शुष्क आंखों के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली आई ड्रॉप्स रीफ्रेश टीयर्स की बिक्री 4,71,000 इकाइयों से बढ़कर 8,15,700 हो गई है। जुलाई 2014 से जुलाई 2018 के बीच इनकी बिक्री में 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि सूखी आंखों के इलाज के लिए इस्तेमाल के लिए उपयोग की जाने वाली ब्रांड मैक्स मॉइस्ट की 2014 में 82,600 इकाई बिक्री हुई थी जबकि 2018 में यह बढ़कर 7,45,000 इकाई पहुंच गया है। मतलब 800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि माइस्टोन की बिक्री में उछाल देखने को मिला है।
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