जानिए कोरोनाावायरस को लेकर अलगाववादी संगठन क्या रच रहा साजिश?
नई दिल्ली। कोरोनावायरस से जहां पूरी दुनिया त्राहिमान मचा रखा है और सभी देश कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं वहीं दुनिया भर के चरमपंथी समूह इस महामारी को सुनहरा अवसर मान रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अलगाववादी संगठन कोरोनावासरस महामारी के संकट को दुनिया भर में हिंसा और अराजकता फैलाने के लिए बेहतर अवसर मान रहे हैं।
कोरोनावायरस को "एक शक्तिशाली सुनामी" के रूप में देखने का दियरा निर्देश
अल-कायदा इस समय पर्चे बांट कर मुस्लिम समुदायों में प्रचार कर रहा है कि कोविड -19 का संक्रमण "हमारे अपने पापों का परिणाम और अल्लाह से हमारी दूरी और अश्लीलता और नैतिक भ्रष्टाचार" के कारण फैला है। समूह ने अपने अनुयायियों को कोरोनावायरस को "एक शक्तिशाली सुनामी" के रूप में देखने का निर्देश दिया है उसने कहां है कि, इस वायरस में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की क्षमता है।
अल-कायदा के ने कहा कि लोगों को जिहाद करने के लिए बुलाएं
अल-कायदा के प्रचारकों के एक हालिया लेख में जोर देकर कहा गया है कि समूह के सह-संस्थापक, ओसामा बिन लादेन ने जो 11 सितंबर को ट्रेड सेंटर को उड़ाया था उससे अमेरिका को क्या आर्थिक नुकसान हुआ ये हमारे लिए मत्वपूर्ण न कि उस हमले में कितने लोगों की जानें गई! अल-क़ायदा ने अपने सदस्यों से कहा है कि "इस आपदा को हमारे लिए काम करने वाले लोगों को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए और अब सही अकीदा फैलाने का समय है लोगों को अल्लाह की राह में जिहाद करने के लिए बुलाएं," और उत्पीड़न और उत्पीड़कों के खिलाफ विद्रोह करवाएं।
"दबाव को तेज करें"
इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि भारत जैसे देशों में इस्लामिक स्टेट के प्रकाशन इस ओर इशारा कर रहे हैं कि, गलियों में तैनात सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को टारगेट करना कोरोनोवायरस महामारी के दौरान, जिहादियों के का आसान लक्ष्य हैं। इस्लामिक स्टेट के सदस्यों से यह भी आग्रह किया जा रहा है कि वे "दबाव को तेज करें" जबकि दुनिया भर की सरकारें "अपने देशों की रक्षा कोरोना से करने में व्यस्त हैं", ऐसा कुछ जो आने वाले हफ्तों और महीनों में अनिवार्य रूप से उन्हें विचलित कर देगा!
RMVEs ने वायरस को हथियार बनाने की रची ये साजिश
संयुक्त राज्य अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी, संघीय जांच ब्यूरो और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र ने महामारी के संबंध में नस्लीय रूप से प्रेरित हिंसक चरमपंथियों (RMVEs) द्वारा किए गए खतरों के बारे में कई चेतावनी जारी की हैं। चेतावनी दी गई है कि RMVEs ने वायरस को हथियार बनाने और नस्लीय या जातीय अल्पसंख्यकों के सदस्यों को संक्रमित करने के लिए इसका उपयोग करने की साजिश रच रहा है। कुछ श्वेत वर्चस्ववादी सिद्धांतकारों ने अपनी आशाओं पर चर्चा करने के लिए ऑनलाइन मंचों पर कहा है कि दुनिया भर की सरकारों द्वारा महामारी की प्रतिक्रियाएं "वैश्विक अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर सकती हैं और इससे सामाजिक पतन हो सकता है, और ऐसे में रेस वार शुरु हो सकती है। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि रेसियली मॉटिवेटेड व्याइलेंट एकस्ट्र्रीमिस्ट( आरएमवीई) ये अफवाह फैला रहे हैं कि कि कुछ जातीय समूह और धार्मिक अल्पसंख्यक समूह कोरोनावायरस फैलाने का काम कर रहे हैं।
जबकि आतंकवादी समूह स्वयं कर रहे कोरोना से ऐसे बचाव
इस रिपोर्ट में भी ये लिखा है कि समूह ने जनवरी में वायरस के खतरे को उजागर करना शुरू किया, जब इस्लामिक स्टेट के साप्ताहिक समाचार पत्र अल-नबा में एक लेख में "संक्रामक वायरस के प्रसार के बारे में बढ़ती चिंता" व्यक्त की गई थी। आतंकवादी समूह ने निर्धारित किया है कि इस महामारी को अपने संगठन में प्रवेश करने नहीं देना है और उन्होंने अपने सदस्यों को अपने हाथ धोने की सलाह दी है और जम्हाई और छींकने आने पर मुंह को कवर करने का आदेश जारी किया था।
तालिबान संगठन पर चला रहा ये अभियान
इतना ही नहीं पिछले दो महीने से अफगान तालिबान संगठन ने अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में "COVID-19 जागरूकता अभियान" चला रहा है। सामुदायिक कार्यक्रमों में अभियान चला कर परिवारों को मास्क, साबुन और कोरोना से संबंधित जानकारियों से संबंधित पर्चे के वितरण कर रहा हैं। तालिबान कमांडर भी उन लोगों के खिलाफ नियमित चेतावनी और धमकियां दे रहे हैं जो खाद्य और आपूर्ति की कीमत बढ़ाने या जमाखोरी करने के लिए पकड़े गए। तालिबान संगठन ने कोरोनावायरस को "अल्लाह का एक फरमान" कहा है और अपने अनुयायियों से "पवित्र पैगंबर की शिक्षाओं के अनुसार कार्य करने को कहा है जिसमें कुरान पढ़ने और नमाज पढ़ने के लिए कहा है1