जानिए भारत में 24X7 बिजली के लिये क्या कर रहे हैं मोदी?
नई दिल्ली। लाहौर पर अचानक यात्रा पर जाकर पूरी दुनिया को चौंकाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिटारे में अभी ढेर सारे प्लान हैं, जिनका असर दिखना अभी बाकी है। उसी पिटारे में देश के हर कोने में 24x7 यानी चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराने की भी योजना है, जिसे पूरा करने के लिये मोदी सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए है। खास बात यह है कि यह काम को पूरा करना है 2019 तक!
24 घंटे बिजली सप्लाई को प्राथमिकता क्यों?
जिस देश में एक राज्य में बुलेट ट्रेन चल रही है और दूसरे में स्मार्ट सिटीज़ तैयार हो रही हों, उस देश में बिजली की सख्त जरूरत पड़ेगी। जब बिजली नहीं होगी तो "मेकइन इंडिया" का क्या मतलब और अगर यह फेल तो स्किल इंडिया भी धरा का धरा रह जायेगा। यही कारण है कि मोदी सरकार 24 घंटे बिजली सप्लाई करने के लिये जी तोड़ प्रयास कर रही है।
क्या होगा इस मिशन के तहत-
- वर्ष 2019 तक देश भर में सातों दिन चौबीस घंटे बिजली दी जायेगी।
- देश के 6 लाख गांवों में से 1,25,000 गांवों को ग्रिड से जोड़ना है।
- ट्रांसमिशन तथा वितरण को मजबूत बनाने, फीडर को अलग करने का काम होगा।
- बिजली चोराी को रोकने के लिये विशेष इंतजाम किये जायेंगे।
- ताप विद्युत उत्पादन, पनबिजली विशेषकर सौर, पवन ऊर्जा उत्पादन तथा अन्य हरित ऊर्जा उत्पादन प्लांट में बिजली बनायी जायेगी।
- बिजली अधिनियम तथा शुल्क नीति में अनेक संशोधन किये जा रहे हैं।
सभी राज्यों के साथ साझेदारी में सभी घरों को सातों दिन चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराने के लिए राज्य विशेष कार्य योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं में बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन तथा वितरण शामिल हैं। विद्युत मंत्रालय ने ‘सभी के लिए बिजली' कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न राज्य सरकारों के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य पूरे देश को कवर करना है।
देश
भर
के
ग्रामीण
इलाकों
में
बिजली
सप्लाई
करने
के
लिये
43,033
करोड़
रुपये
की
परियोजना
चालू
है।
सब-ट्रांसमिशन
तथा
वितरण
प्रणालियों
को
मजबूत
बनाने
के
लिए
32,612
करोड़
रुपये
की
विकास
योजना
चल
रही
है।
ट्रांसमिशन
नुकसान
को
27
प्रतिशत
को
5
प्रतिशत
तक
लाने
का
कार्य
जारी
है।
केवल
ट्रांसमिशन
नुकसान
को
बचाकर
15
हजार
मेगावाट
अतिरिक्त
बिजली
भारत
के
पास
होगी।
क्या आप जानते हैं
अभी तक देश में बनने वाली बिजली का 27 फीसदी का ट्रांसमिशन लॉस हो जाता है। नया उत्पादन तो बाद की बात है, केवल ट्रांसमिशन नुकसान को रोक कर ही 15 हजार मेगावाट बिजली को बर्बाद होने बचाया जायेगा। एक मेगावाट बिजली उत्पादन में 5-7 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यानी अगर हम 15 हजार मेगावाट की हानि को रिकवर करते हैं, तो देश को 1.05 लाख करोड़ रुपये तक बचेंगे।
राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन
एनडीए सरकार ने भारत में विद्युत के बुनियादी ढांचे को किफायती, जवाबदेह और भरोसेमंद बनाने के लिए राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन शुरू किया है। स्मार्ट ग्रिड विद्युत संयंत्र से लेकर प्लग तक के समूचे परिचालन के दौरान होने वाले दोतरफा ऊर्जा प्रवाह के स्वचलन, निगरानी एवं नियंत्रण के लिए सेंसर, मीटर, डिजिटल कंट्रोल एवं विश्लेषणात्मक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। यह एक काफी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है और प्रस्तावित 100 स्मार्ट सिटी में भी स्मार्ट ग्रिड होंगे, जिससे बिजली की काफी बचत संभव होगी।