आपकी किडनी का दुश्मन कैसे बन जाता हैं कोरोना वायरस , विस्तार से जानिए सबकुछ
बेंगलुरु। चीन के वुहान शहर से पूरी दुनिया में फैले कोरोनावायरस ने तबाही मचा दी हैं। कई देशों के वैज्ञानिक कोविड 19 से बचाव के लिए वैंक्सीन और इलाज के लिए दवा तैयार करने में जुटे हैं लेकिन निश्चित तौर पर उन्हें कामयाबी नहीं मिली हैं। जैसे-जैसे कोरोना के मरीज और कोरोना पॉजिटिव की मौतें बढ़ रही वैसे-वैसे कोरोना वायरस का शरीर पर प्रभाव से जुड़ी रिसर्च सामने आ रही हैं। अभी तक ये यह माना जा रहा था कोरोना वायरस फेफड़े में.श्वसन प्रणाली पर असर डालते हैं , लेकिन अब ये साफ हो चुका कि ये फेफड़ों को ही नहीं यह किडनी को भी संक्रमित करता हैं।
किडनी पर हमला करता हैं कोरोना वायरस
यहीं कारण है कि कोरोना के गंभीर मरीजों के गुर्दे यानी किडनी को क्षति आम है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वायरस सीधे किडनी पर हमला करता है, या या गुर्दे की विफलता या कोरोना संक्रमण के कारण एक-एक करके शरीर के अंगों को फेल होने का असर किडनी को करता हैं। यहीं कारण है कि कोरोनोवायरस महामारी के बीच एक अन्य प्रकार की मशीन जिसे डायलिसिस मशीन कहते है वो भी बहुत अहम हो गई हैं क्योंकि कोरोना मरीजों की किडनी में संक्रमण फैलने के बाद उनकी डायलिसिस की जरुरत पड़ती हैं।
फेफड़ों पर ऐसे असर करता हैं कोरोना वायरस
डाक्टरों के अनुसार कोरोनावायरस किडनी और फेफड़ों पर अटैक करता है लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका असर फेफड़ों पर देखा जाता है। यह फेफड़ों में सूजन पैदा करता है जिसे निमोनिया कहते हैं। कोरोनावायरस शरीर की आंत और किडनी में शीघ्र पहुंच कर अटैक करता हैं। फेफड़े इस वायरस का प्रवेश द्वार हैं इसलिए सबसे ज्यादा डैमेज यहीं होता है इसीलिए ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।
भारत में हुआ ये रिसर्च
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) फेफड़ों को ही बल्कि किडनी को भी संक्रमित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना विषाणु से संक्रमित लोगों की जांच में करीब 25 से 5० फीसदी ऐसे मामले सामने आए हैं , जिनमें पीड़ितों की किडनी में भी इसका असर देखने को मिला। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित के मूत्र में प्रोटीन और रक्त का अधिक मात्रा में रिसाव होता है, जिसके कारण एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) की स्थिति सामने आती है। जांच के दौरान करीब 15 प्रतिशत कोरोना संक्रमितों में ये लक्षण पाये गये। कोरोना पीड़ित 59 मरीजों के उपचार के दौरान दो तिहाई लोगों के मूत्र में प्रोटीन का काफी रिसाव होना पाया गया। विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि कंटीन्यूज रिनाल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआरटी) जैसी डायलिसिस तकनीक कोविड-19 और सेप्सिस सिंड्रोम के मरीजों के उपचार में प्रभावी हो सकती है, भले ही उनके गुदेर् की कार्यप्रणाली कैसी भी हो। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मौजूदा परिदृश्य और इसके संक्रमण से किडनी पर असर को देखते हुए ऐसे बाह्य थेरेपी के जरिए गंभीर रूप से बीमार लोगों के उपचार में सहायता मिल सकती है।
शोध, क्या वायरस किडनी पर हमला करता है?
विज्ञान के अनुसार, कोविद -19 के गंभीर मामलों में किडनी को क्षति पहुंचना आम बात हैं , जिससे मृत्यु की संभावना अधिक होती है। एक संभावित कारण है कि वायरस सीधे किडनी पर हमला कर सकता है, गुर्दे पर एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (ACE2) रिसेप्टर्स की प्रचुर उपस्थिति हो सकती है। ACE2 किडनी की बाहरी सतह पर पाया जाने वाला एक एंजाइम है। यह कुछ कोरोना मरीजों के लिए कोशिकाओं में एक प्रवेश बिंदु हो सकता है। प्री-प्रिंट सर्वर मेडरिक्स पर प्रकाशित वुहान में 85 अस्पताल में भर्ती मरीजों का एक अध्ययन बताता है कि 27 प्रतिशत से अधिक मरीजों की किडनी इससे फेल हुई।
कैसे किडनी का दुश्मन बन जाता है कोरोना वायरस
डाक्टरों
के
अनुसार
मोटे
तौर
पर,
दो
संभावित
तरीके
हो
सकते
हैं
जिसमें
कोरोना
वायरस
गुर्दे
को
प्रभावित
कर
सकता
है,
एक
तरीका
यह
है
कि
शरीर
की
रोगों
से
लड़ने
प्रतिरोधक
क्षमता
के
कारण
कम
होने
के
कारण
साइटोकाइन
स्ट्राम
शुरु
हो
जाता
हैं
जिसकी
वजह
से
वाइट
ब्लडसेल
तैयार
हो
जाते
हैं
जो
कि
कोरोना
के
कारण
शरीर
में
क्षतिग्रस्त
ऊतकों
यानी
डैमेज
डिसूज
की
मरम्मत
करने
के
बजाय
स्वस्थ
ऊतक
पर
भी
हमला
करना
शुरू
कर
देती
है।
साइटोकाइन
स्ट्राम
से
सेप्सिस
हो
जाता
है
और
कई
अंग
डैमेज
हो
जाते
हैं
जिसमें
मौत
हो
सकती
है।
इसलिए,
यह
संभव
है
कि
कई-अंग
विफलता
का
सामना
करने
के
परिणामस्वरूप
रोगी
को
गुर्दे
की
विफलता
या
क्षति
हो
सकती
है।
एक
और
संभावित
कारण
है
जब
वायरस
सीधे
गुर्दे
पर
हमला
करता
है,
संभवतः
इसलिए
कि
गुर्दे
की
कोशिकाओं
पर
ACE2
रिसेप्टर्स
की
प्रचुर
मात्रा
में
उपस्थिति
होती
है।
किडनी फेल्योर और डैमेज कैसे होते हैं?
एजेकेडी के शोध के अनुसार, गुर्दे की क्षति या चोट के मामले में, कुछ रोगियों को डायलिसिस की आवश्यकता हो सकती है, जिसकी आवश्यकता आमतौर पर संक्रमण के दूसरे सप्ताह में उठती है और यह आईसीयू के रोगियों के पांच प्रतिशत के करीब प्रभावित करती है। ये पैटर्न SARS और MERS के प्रकोप के अनुमान के अनुरूप हैं। चूंकि दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं को सामग्री और मानव संसाधनों दोनों पर बढ़ाया जाता है, इसलिए यह गुर्दे की विफलता वाले रोगियों के लिए डायलिसिस देखभाल तक पहुंच नहीं होने का जोखिम भी पैदा करता है। डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अवांछित पदार्थ और तरल पदार्थ रक्त से बाहर निकाल दिए जाते हैं, जब गुर्दे स्वयं इस कार्य को करने में सक्षम नहीं होते हैं।
किडनी कैसे करती है काम
बता दें हमारे शरीर के रीनल सिस्टम में मौजूद राजमा के आकार के दो अंगों को गुर्दा यानी किडनी कहा जाता है। इनके एक मानव शरीर में कई महत्वपूर्ण काम होते हैं। इनका काम खून को दोबारा दिल को भेजने से पहले फिल्टर कर मूत्र के रूप में अवशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर निकालना है ताकि शरीर में सॉल्ट्स, पोटेशियम और एसिड कंटेंट पर नियंत्रित रखा जा सके। रक्त को साफ करने का काम करने वाली किडनीहमारी किडनियां शरीर के बीचो बीच कमर के पास होती हैं। यह अंग मुट्ठी के बराबर होता है। हमारे शरीर में दो किडनियां होती हैं। अगर एक किडनी पूरी तरह से खराब हो जाए तो भी शरीर ठीक चलता रहता है। हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20 प्रतिशत किडनी में जाता है, जहां यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है। इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर कर देती हैं।
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