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अब सब अपना बताने लगे कैलाश सत्यार्थी को

By Vivek
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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) आज नोबेल पुरस्कार के सम्मानित हुए और बाल श्रमिकों के हक में जुझारू तरीके से लड़ाई लड रहे कैलाश सत्यार्थी ने एक दौर में भोपाल गैस पीडितों को उचित मुआवजा दिलवाने के लिए भी लड़ाई लड़ी थी। वे उस दौर में या कहे कि उस त्रासदी के दिनों में भोपाल में ही रहते थे।

Kailsh Satyarthi

बहरहाल, कैलाश सत्यार्थी को जैसे नोबेल पुरस्कार मिलने की घोषणा की खबर आई, बस तब ही राजधानी में अनेक लोग फेसबुक से लेकर एसएमएस से बताने लगे कि उनके सत्यार्थी से कितने करीबी संबंध हैं।

उनमें मशहूर वकील एच.एस.फुलका भी हैं। वे 1984 के दंगा पीड़ितों के हक में लड रहे हैं। उनके अलावा तमाम लेखक और पत्रकार भी एसएमएस से उन्हें अपना बता रहे हैं। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर भी उन्हें अपना बता रहे थे एक इंटरव्यू में।

हैरानी इस बात से हो रही है कि सरकारी स्तर पर उन्हें कोई बधाई नहीं दी गई शाम 5 बजे तक। कम से कम तब कर पीआईबी की वेबसाइट में इस बाबत कोई खबर नहीं थी।

खैर, सत्यार्थी शुरू से ही अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे हैं। राजधानी के साउथ दिल्ली स्थित दफ्तर में आप उन्हें आमतौर पर नहीं पाते। कारण यह है कि वे दफ्तर में बैठकर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हैं। वे तो फील्ड में रहते हैं। लगातार घूमते हैं।

एक बार उन्होंने इस लेखक से गैस त्रासदी के शिकार लोगों के बारे में कहा था कि

जहरीली गैस के प्रभाव के चलते लगातार बीमार रहने के कारण तमाम लोगों की स्मरणशक्ति बहुत कम हो गई है और कामकाज करने लायक शरीर नहीं बचा है।

उन्होंने यह भी बताया था कि वे जब दिल्ली में शिफ्ट तब उन्होंने बाल श्रमिकों के हक में काम करने का मन बनाया। यह कोई 20 साल पहले की बात है।

मध्य प्रदेश से संबंध रखने वाले सत्यार्थी को इस बात हमेशा कष्ट रहा कि भारत में बाल मजदूरी को रोकने के लिए कई ठोस पहल नहीं होती। वे मानते हैं कि विकासशील देशों में भी भारत में बाल श्रमिकों की संख्या सब से ज्यादा है। अफ्रीका और एशिया के कई देशों में यह एक बड़ी समस्या है।

वे बताते हैं कि भारत में बाल मजदूर बीड़ी, पटाखे, माचिस, ईंटें, जूते, कांच की चूड़ियां, ताले और इत्र वगैरह बनाते हैं।

साथ ही बच्चों से कालीन बनवाए जाते हैं, कढ़ाई करवाई जाती है और रेशम के कपड़े भी उन्हीं से बनवाए जाते हैं। ये काम बारीक होते हैं, इसलिए बच्चों के नन्हें हाथों की जरूरत पड़ती है।

रेशम के तार खराब ना हो जाएं इसलिए बच्चों से कपड़े बनवाए जाते हैं।कैलाश सत्यार्थी मानते है कि भगवान ने हम सब को कोई ना कोई खूबी दी है। हमारा फर्ज बनता है कि हम हर बच्चे को उसके सपने पूरे करने में मदद करें।

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English summary
Time to claim Kailsh Satyarthi as their own. From Anupam Kher to HS Phoolka all claim that he is close to them.
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