खराब GDP आंकड़ों पर बोले मनमोहन सिंह, इकोनॉमी में भय का माहौल
नई दिल्ली। आर्थिक और रोजगार मोर्चे पर पहले ही अलोचनाएं झेल रही केंद्र सरकार को शुक्रवार उस समय बड़ा झटका लगा, जब दूसरी तिमाही में जीडीपी गिरकर 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। आंकड़े सामने आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर बडा हमला बोला। उन्होंने कहा कि, हमारी अर्थव्यवस्था की जो हालत है वह बेहद चिंताजनक है लेकिन उससे भी ज्यादा हमारे समाज की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। लेकिन आज हमारे समाज की स्थिति और भी चिंताजनक है और यह हमारी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता का एक प्रमुख कारण है। किसी भी देश में समाज को अर्थव्यवस्था से अलग नहीं किया जा सकता है। उद्योग, कृषि, व्यापार, नौकरी, कर, मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति के रूप में वर्गीकृत हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर पहले से ही विस्तृत चर्चा की गई है ।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, कोई भी हमारी अर्थव्यवस्था में तीव्र मंदी और हमारे किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए विनाशकारी परिणामों से इनकार नहीं कर सकता। आज जारी जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.5% है। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है और हमारे लोगों की उम्मीदें हैं कि यह देश प्रतिवर्ष 8-9% की दर से बढ़े और इसलिए पहली तिमाही में विकास दर में 5% की तीव्र गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में 4.5% हो जाना वास्तव में चिंताजनक है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि, मेरा विश्वास है कि आर्थिक नीति में बदलाव मात्र से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी। हमें समाज में मौजूदा डर के माहौल को अपनी अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास में बदलकर फिर से 8% प्रतिवर्ष की दर से मजबूत बनाने की जरूरत है। आपसी विश्वास और आत्मविश्वास सामाजिक विकास और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का मूल आधार है। हमारे भरोसे और आत्मविश्वास का सामाजिक ताना-बाना अब कटा-फटा और टूटा हुआ है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, हमारे समाज में आज डर का माहौल है। कई उद्योगपति मुझे बताते हैं कि वे आज हमारे समाज में भय के माहौल में रहते हैं। वे मुझे बताते हैं कि वे सरकार के अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की आशंका में रहते हैं। हमारे विभिन्न आर्थिक प्रतिभागियों में गहरा भय और संकट है। मीडिया, न्यायपालिका, नियामक अधिकारियों और जांच एजेंसियों जैसे स्वतंत्र संस्थानों में जनता का भरोसा बुरी तरह से चरमरा गया है।
सिंह ने कहा कि, भारत अब बड़े पैमाने पर निजी उद्यम द्वारा संचालित 3 ट्रिलियन डॉलर की वैश्विक आर्थिक महाशक्ति है। अब इसे बिना किसी विचार के मनमाने ढंग से संचालित नहीं किया जा सकता और न ही इसे रंगीन सुर्खियों और भड़काऊ मीडिया टिप्पणी के माध्यम से चलाया जा सकता है। बुरी खबरों को दबाना या आर्थिक रिपोर्ट और आँकड़ों को छिपाना बचपना है और यह बढ़ती वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के लिए शोभा नहीं देता है। किसी प्रकार का छल 1.2 बिलियन लोगों और $3 ट्रिलियन बाजार की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और विश्लेषण को छिपा नहीं सकता।
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