पूर्व हॉकी कप्तान ने कहा, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से हटा दिया जाए मुस्लिम शब्द
नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और ओलंपियन जफर इकबाल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। गुरुवार को इकबाल ने कहा कि, यूनिवर्सिटी के नाम में से मुस्लिम शब्द को हटा देना चाहिए। इससे यूनिवर्सिटी में हो रहे राजनीतिक विवाद खत्म हो जाएंगे। अलीगढ़ में चल रहे नॉर्थ जोन इंटर-यूनिवर्सिटी हॉकी टूर्नामेंट के समापन समारोह में शुक्रवार को अथिति के तौर पर शामिल हुए इकबाल ने ये बात कही। बता दें जफर इकबाल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र हैं।
पूर्व हॉकी खिलाड़ी ने प्रतिक्रिया हाल ही में कुछ बीजेपी नेताओं द्वारा विश्वविद्यालय को लेकर दिए गए बयानों पर दी। बता दें इस साल अप्रैल में राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एएमयू को आतंकवादियों और चरमपंथी विचारधाराओं का केंद्र कहा था। वहीं 20 नवंबर को अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति को एक पत्र लिखा था और कहा था कि संस्थान तालिबान मानसिकता के साथ चल रहा है और यह आतंकवादियों के लिए स्कूल है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, इकबाल ने कहा कि, यह बेहद की दुखद है कि, राजनेता यूनिवर्सिटी के लिए इस तरह की सोच रखते हैं। इस विश्वविद्यालय देश को ना सिर्फ बुद्धिमान लोग दिए बल्कि दर्जनों ओलंपिक हॉकी खिलाड़ी भी दिए हैं। भारत के कुछ महान हॉकी सितारों के नामों लेते हुए इकबाल ने कहा कि मसूद मिनहाज (लॉस एंजिल्स ओलंपिक 1932), एहसान मोहम्मद खान (बर्लिन ओलंपिक 1936), लेफ्टिनेंट ए शखूर, मदन लाल, लतीफ-उर-रहमान (सभी लंदन ओलंपिक 1948), जोगेन्द्र सिंह (रोम ओलंपिक 1960), एसएम अली सईद (टोक्यो 1964), इनामुर रहमान (ओलंपियन, मेक्सिको 1968), बीपी गोविंदा (ओलंपियन, म्यूनिख 1972), असलम शेर खान (ओलंपियन, म्यूनिख 1972), और अख्तर हुसैन हयात (ओलंपियन, लंदन 1948) एएमयू से निकले हैं। अब इस विश्वविद्यालय को खराब कर दिया गया है।
इकबाल जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, ने कहा कि देश केवल शांतिपूर्ण वातावरण में प्रगति कर सकता है। विश्वविद्यालय के नाम में 'मुस्लिम' शब्द विवाद की हड्डी बन गया है। अगर शब्द हटा दिया जाता है तो बेहतर होगा। इससे शांति बनी रहेगी। जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में राजनीति कैसे बढ़ी है, यह बताते हुए, इकबाल ने कहा कि खेल ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो अब तक इस वायरस से अप्रभावित है। हर जगह लोगों को अलग किया जा रहा है। शुक्र है, जब भी वे देश के लिए खेलते हैं तो खिलाड़ी धर्म या जाति के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन यदि टीम में एकता नहीं होते टीमें जीत नहीं सकतीं।
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