पूर्व CJI ने हैदराबाद एनकाउंटर पर उठाए सवाल, कहा- खून का बदला खून युग की ओर जा रहे हैं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने मानवाधिकार दिवस पर हैदराबाद एनकाउंटर की घटना पर सवाल उठाए है। उन्होंने कहा कि, आज हम एक ओर मानवाधिकार दिवस मना रहे हैं और दूसरी ओर हम बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष भी कर रहे हैं। हर जगह अराजकता का माहौल है। तेलंगाना की घटना इसका उदाहरण है। वे आज मानवाधिकार दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर की घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब एक मंत्री ही ऐसी हत्या को सही ठहराता है तो हम आप अपने ह्यूमन राइट की सुनिश्चितता की क्या उम्मीद कर सकते हैं? हम उस सभ्यता की तरफ बढ़ रहे है, जहां न्याय के लिए भीड़ की मानसिकता ही आधार होती थी। जहां खून का बदला खून हुआ करता था। बलात्कारियों की लिंचिंग अतीत की हम्मूराबी की सभ्यता की याद दिला रही है। ऐसा लगता है कि हम उसी युग की तरफ जा रहे है।
उन्होंने कहा कि हैदराबाद एनकांउटर की जांच होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से पुलिस रिफोर्म का मुद्दा अटका हुआ है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आज पूरे बजट का न्यायपालिका पर महज 0.08 फीसदी खर्च ही करता है। उन्होंने कहा कि साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन या प्रोफेशनल्स की कमी एक बड़ी समस्या है। इसकी वजह से मामलों की सुनवाई में देरी होती है। ये बड़ी विडंबना है कि हमारे पास साइंटिफिक जांच के लिए बस 7 ही लैब हैं। उन्होंने सरकार द्वारा न्यायपालिका को कम बजट दिए जाने पर भी सवाल उठाए।
#WATCH Justice (Retd) RM Lodha: As we celebrate Human Rights Day, fact is- we're struggling in protection of human rights.Killing of accused in Hyd rape case in an encounter,rapes&murders happening each day, reflect deep malice crept in society.Are we heading towards lawlessness? pic.twitter.com/aYHkKeJNpF
— ANI (@ANI) December 10, 2019
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने नागरिकता (संशोधन) बिल को लेकर भी टिप्पणी की है। जब उनसे नागरिकता (संशोधन) बिल की संवैधानिक वैधता को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर किसी को बाहर करना या अंदर करना संविधान की कसौटी में पूरा नहीं उतरता है। अभी इस बिल को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इसके कानून बनने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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