नेतागिरी से संन्यास ले चुके पूर्व ब्यूरोक्रेट शाह फैसल बोले, 'कश्मीर में केवल एक मृत नेता अच्छा नेता होता है'
नई दिल्ली। 2009 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने वाली पहले कश्मीरी शाह फैसल ने राजनीति को भी टाटा बॉय-बॉय कहने के बाद एक बार फिर नई पारी खेलने की तैयारी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी की आधारशिला रखने वाले शाह फैसल का राजनीति से संन्यास लेने के फैसले के बाद दिया गया बयान सुर्खिया बंटोर सकता है, जिसमें उन्होंने कहा कि कश्मीर में केवल एक मृत नेता ही अच्छा नेता हो सकता है। उनके इस बयान के क्या मायने है, यह उनके दिए अगले बयान में समझा जा सकता है।
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मुझे कश्मीर के लोगों को झूठे सपने नहीं बेचने चाहिए: शाह फैसल
आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल का कहना है कि पिछले एक साल से हिरासत में रहने के दौरान उन्होंने महसूस किया है कि उन्हें कश्मीर के लोगों को झूठे सपने नहीं बेचने चाहिए। फैसल ने सिविल सर्विसेज छोड़ने के एक साल पहले जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक पार्टी बनाई थी और अब अटकलें हैं कि वो एक बार फिर सरकारी सेवाओं में कदम रख सकते हैं।
फैसल कहते हैं, डिटेंशन की अवधि उनके लिए एक परिवर्तन लेकर आया है
फैसल को अगस्त 2019 में दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया और जून तक हिरासत में रखा गया। फिलहाल उन्हें घर में नजरबंद रखा गया है। मीडिया से बात करते हुए फैसल का कहना है कि डिटेंशन की अवधि उनके लिए एक परिवर्तन लेकर आया है और उन्हें कश्मीर की राजनीति के "रिंगिडाइड व्यू" की पेशकश की है।
मैं वो वादा नहीं कर सकता, जिसे मैं पूरा नहीं सकता हूंः शाह फैसल
बकौल फैसल, नजरबंदी की अवधि ने मुझे बदल दिया। यह कश्मीर की राजनीति का एक विहंगम दृश्य था। जैसा कि मैंने 5 अगस्त के फैसले के साथ किया, मुझे एहसास हुआ कि मुझे लोगों को झूठे सपने नहीं बेचने चाहिए और इसके बजाय खड़े होकर उन्हें सच बताना चाहिए। फैसल आगे कहते हैं कि वास्तविकता को स्वीकार करने और लोगों को बताने में कोई शर्म नहीं है कि देखो मैं तुम्हें कुछ वादा नहीं कर सकता, जो मैं पूरा नहीं सकता।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले ने ग्रे जोन को खत्म कर दिया है
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में 5 अगस्त, 2019 के बाद आए बदलाव पर टिप्पणी करते हुए फैसल का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले ने यहां के ग्रे जोन को खत्म कर दिया। वर्ष 1949 की राष्ट्रीय सहमति थी कि अनुच्छेद 370 को बने रहना चाहिए। 2019 की राष्ट्रीय सहमति है कि इसे जाना चाहिए। ऐसे माहौल में आप या तो भारत के साथ हो सकते हैं या भारत के खिलाफ हैं और हम में से जो इस सर्वसम्मति को अस्वीकार करते हैं, उन्हें ऐसी जगह भेज दिया जाएगा, जहां काम करना बहुत मुश्किल होगा।
फैसल ने केंद्र के इस कदम के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया था
फैसल ने केंद्र के इस कदम के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया था। उन्हें बीबीसी के साथ उनके साक्षात्कार के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था, "धारा 370 को निरस्त करने से मुख्यधारा खत्म हो गई है। संविधानवादी चले गए हैं। तो आप या तो एक स्टोगी हो सकते हैं या एक अलगाववादी, क्योंकि अब कश्मीर से ग्रे शेड नहीं रह गया है।
क्या वह कभी राजनीति में लौटेंगे के सवाल पर फैसल कहते हैं कि...
कश्मीर में बदले राजनीतिक हालात के बारे में फैसल कहते हैं कि कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति नई राजनीतिक वास्तविकता का सामना करने और राष्ट्रीय विमर्श के आसपास काम करने के बारे में होगी। इसलिए मुझे नहीं लगता कि अब यहा बहुत सारे विकल्प हैं। क्या वह कभी राजनीति में लौटेंगे के सवाल पर फैसल कहते हैं, मैंने राजनीति छोड़ दी है,क्योंकि मैं झूठी उम्मीद नहीं करना चाहता। दो दशक बाद लोगों को यह बताने के बजाय कि मैं ऐसा नहीं कर सकता, अब मैं यह कर रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी राजनीति में वापस आ सकता हूं।
कश्मीरी चाहते हैं कि आप उनके लिए लड़ें, लेकिन वो पीछे नहीं खड़े होंगे
फैसल कश्मीर की राजनीति को "जटिल" मानते हैं। वो कहते है, लोग चाहते हैं कि आप उनके लिए लड़ें, लेकिन वे आपके पीछे नहीं खड़े होंगे। यहां आप शैतान और गहरे समुद्र के बीच अकेले होते हैं। उनका तर्क है कि हिंसक संघर्ष के कारण कश्मीर में बुनियादी मुद्दों पर सर्वसम्मति की कमी हुई है। भविष्य के लिए लाखों विजन हैं और उनमें से हरेक में परस्पर टकराव है। इस तरह के माहौल में आप स्वयं के जोखिम पर एक नेता बनना चुन सकते हैं। आगे जोड़ते हुए उन्होने कहा, कश्मीर में केवल एक मृत नेता एक अच्छा नेता होता है। समाज ऐसे ही प्रगति करता है।