India China Border talks: 'भारत और चीन के बीच जल्द हो LAC स्पष्ट नहीं तो हालत LoC जैसी हो जाएगी'
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी तनाव को पूरे एक माह हो चुके हैं। आज दोनों देशों के लेफ्टिनेंट जनरल मसले को सुलझाने के लिए लद्दाख के चुशुल में मुलाकात करने वाले हैं। इस बीच पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) वीपी मलिक ने कहा है कि अगर जल्द ही एलएसी की पहचान नहीं की जाती है या फिर इसे स्पष्ट नहीं किया जाता है तो फिर यहां पर भी पाकिस्तान से लगी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) जैसी सीमा रेखा जैसे हालात हो सकते हैं। जनरल मलिक ने यह बात इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कही है।
यह भी पढ़ें- जानिए क्या है भारत-चीन बॉर्डर पर क्या है Finger 4 और 8
22 मीटिंग्स के बाद भी कोई हल नहीं
जनरल मलिक सन् 1999 में हुई कारगिल की जंग के समय सेना प्रमुख थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है की पिछले तीन दशकों से दोनों देशों के बीच विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की अगुवाई में 22 सत्र वाली मुलाकात हो चुकी है। इसके बाद भी हम चीन को अंतिम सीमा रेखा तय करने पर राजी नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक विवादित हिस्सों पर भी कोई रजामंदी बनती नहीं दिख रही है। उनकी मानें तो जब तक एलएसी और विवादित हिस्सों की रुपरेखा पेश नहीं की जाएगी, लद्दाख जैसे टकराव जान-बूझकर या फिर दुर्घटनावश होते रहेंगे। उन्होंने बताया कि भारत और चीन ने सन् 1993 में एक समझौता साइन किया था और इसके बाद से पांच समझौते और मिलिट्री स्तर के प्रोटोकॉल्स तय किए जा चुके हैं ताकि एलएसी पर आपसी भरोसे को कायम किया जा सके। लेकिन हालिया घटनाओं के बाद तो यही इशारा मिलता है कि ये मंत्र अब ज्यादा प्रभावी नहीं हैं।
LoC की तरह LAC पर भी तैनात करने पड़ेंगे जवान
जनरल मलिक की मानें तो एलएसी और विवादित हिस्सों की रूपरेखा अगर जल्द तय नहीं होती है तो फिर भारत और चीन को एलएसी पर और ज्यादा सेनाएं तैनात करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ लगी एलओसी पर जिस तरह से भारी संख्या में जवान तैनात होते हैं उसी प्रकार से चीन से लगी एलएसी पर भी जवान तैनात करने पड़ेंगे। उनसे इंटरव्यू में पूछा गया था कि क्या एलएसी पर कोई चीनी जवानों भारतीय सीमा में कोई घुसपैठ की है? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि एलएसी पर किसी भी तरह की घुसपैठ और फिर इसे बचाने की कोशिश करना 'कब्जे' में ही आएगा। उनके मुताबिक पैंगोंग झील के उत्तर में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने विवादित हिस्से में घुसपैठ की है जोकि फिंगर 4 और फिंगर आठ के बीच है और यहां दोनों देशों के जवान गश्त करते हैं।
चीन-पाकिस्तान का गठजोड़ होगा घातक
उनका कहना था कि गलवान घाटी में भी चीनी जवानों ने श्योक नदी से एलएसी तक के रास्ते पर पोजिशन ले ली है। ऐसे में भारत के जवान एलएसी तक गश्त नहीं कर पा रहे हैं। जनरल मलिक के मुताबिक आक्रामक चीन जो लद्दाख सीमा को घटाता-बढ़ाता रहता है, वह काराकोरम पास पर भी नियंत्रण ले सकता है। साथ ही इसके बाद काराकोरम पास और शक्सगम वैली के बीच का हिस्सा पाकिस्तान को सौंपा जा सकता है। इस वजह से चीन ने जिस अक्साई चिन पर कब्जा कर रखा है उसे सुरक्षित करेगा। साथ ही पश्चिमी तिब्बत को वह शक्सगम घाटी से जोड़ने की कोशिशें कर सकता है। इसके अलावा सियाचिन ग्लेशियर भी पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ की वजह से खतरा बढ़ सकता है।
3,488 किलोमीटर की LAC पर अलग-अलग दावे
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी विवाद को सुलझाने के लिए छह जून भारत और चीन की सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल आपस में मीटिंग करेंगे। भारत और चीन के बीच विवाद अक्सर लद्दाख में स्थित पैंगोंग त्सो झील इलाके के आसपास ही होता है। इस बार परमाणु शक्तियों से लैस दो एशियाई पड़ोसियों के बीच स्थितियां गंभीर हैं। एलएसी तीन सेक्टर्स में बंटी हुई है जिसमें पहला है अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक का हिस्सा, मध्य में आता है हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का हिस्सा और पश्चिम सेक्टर में आता है लद्दाख का भाग। भारत, चीन के साथ लगी एलएसी करीब 3,488 किलोमीटर पर अपना दावा जताता है, जबकि चीन का कहना है यह बस 2000 किलोमीटर तक ही है।
क्या है भारत चीन के बीच LAC
एलएसी दोनों देशों के बीच वह रेखा है जो दोनों देशों की सीमाओं को अलग-अलग करती है। दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर अपने-अपने हिस्से में लगातार गश्त करती रहती हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच झील के विवादित हिस्से पर पहले भी कई बार झड़प हो चुकी है।पूर्वी लद्दाख एलएसी के पश्चिमी सेक्टर का निर्माण करता है जो कि काराकोरम पास से लेकर लद्दाख तक आता है। उत्तर में काराकोरम पास जो करीब 18 किलोमीटिर लंबा है और यहीं पर देश की सबसे ऊंची एयरफील्ड दौलत बेग ओल्डी है। अब काराकोरम सड़क के रास्ते दौलत बेग ओल्डी से जुड़ा है। दक्षिण में चुमार है जो पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश से जुड़ा है। पैंगोंग झील, पूर्वी लद्दाख में 826 किलोमीटर के बॉर्डर के केंद्र के एकदम करीब है। 19 अगस्त 2017 को भी पैंगोंग झील पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़व हुई थी।