Birth Anniversary special: इंदिरा गांधी के ये बड़े फैसले हमेशा सबको याद रहेंगे
नई दिल्ली। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली इंदिरा गांधी की आज (19 नवंबर) 102वीं जयंती है। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसे बड़े फैसले लिए थे, जिनसे ना केवल इतिहास बल्कि दुनिया का भूगोल भी बदल गया था। वह बड़े फैसले लेने से कभी पीछे नहीं हटीं। बांग्लादेश आज उन्हीं की बदौलत एक अलग मुल्क बना है।
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बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए इंदिरा गांधी का योगदान बांग्लादेश आज भी याद रखता है। इंदिरा ने भारत की सेना को वहां भेजने का फैसला लिया था और 80 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण से बांग्लादेश का उदय हुआ था। उनकी जयंती के मौके पर हम आपको उनके उन बड़े फैसलों के बारे में बताएंगे जो आज भी हर किसी को याद हैं, और हमेशा याद रहेंगे।
1975 में आपातकाल
1917 में जन्मीं इंदिरा राजनीति के ईर्द-गिर्द पली बढ़ीं और इसकी बारीकियों को जल्द ही समझ गई थीं। उनके कई बड़े फैसलों की आज सराहना की जाती है। लेकिन एक फैसले की आज भी काफी आलोचना की जाती है। ये फैसला है 1975 में लगाए गए आपातकाल का। इसका नतीजा ये हुआ कि केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार बन गई। हालांकि ये सरकार कुछ समय में गिर गई थी और देश की जनता ने दोबारा इंदिरा गांधी को अपना नेता चुना था।
परमाणु परीक्षण देश
देश को सुरक्षा देने और दुनिया के सामने मजबूत देश की छवि बनाने के लिए इंदिरा गांधी ने परमाणु परीक्षण से सबको हैरानी में डाल दिया था। इस परीक्षण के बाद भारत परमाणु संपन्न देश कहलाया। कुछ देश भारत के ऐसा करने पर खफा थे लेकिन इंदिरा उस वक्त बिलकुल नहीं घबराई थीं। उन्होंने देश के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए।
मार्गरेट थैचर को खत
श्रीलंका में जारी तमिल समस्या के निपटारे के लिए इंदिरा गांधी ने ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को खत लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि इस समस्या के निपटारे के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और अगर सच में श्रीलंका की मदद करनी है तो राष्ट्रपति जयवर्द्धने से इसका स्थायी समाधान खोजने की अपील करें। बता दें इंदिरा ने ये खत तब लिखा था, जब ब्रिटेन ने श्रीलंका के सैनिकों को तमिल समस्या से निपटने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू किया था।
ऑपरेशन ब्लू स्टार
इंदिरा गांधी ने देश की प्रधानमंत्री रहते हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को शुरू करने का फैसला लिया था, जिसका उद्देश्य खालिस्तान की कमर तोड़ना था। पंजाब में खालिस्तान समर्थकों का बढ़ता प्रभाव देख इंदिरा को अंदेशा होने लगा था कि इसका राजनीति पर भी असर हो सकता है। बढ़ता उग्रवाद देख इंदिरा का ये फैसला लेना तब काफी जरूरी भी था। ये ऑपरेशन तब सफल भी हुआ, जब स्वर्ण मंदिर में सेना ने हमला किया और जनरैल सिंह भिंडरालाल की मौत हुई।
सुरक्षाकर्मी ना बदलना
माना जाता है कि इंदिरा को इस बात का अंदेशा था कि स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने के फैसले से सिख नाराज हो सकते हैं। उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टॉर के बाद एक भाषण भी दिया था, जिससे ये माना जाने लगा था कि इंदिरा को इस बात की भनक हो गई थी कि उनकी हत्या हो सकती है। ये बात भी कही जाती है कि उस समय इंदिरा को सलाह दी गई थी कि वह अपने सुरक्षाकर्मियों को बदल दें लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था।
इंदिरा गांधी का निधन
इंदिरा गांधी का निधन जिस कारण हुआ उसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने 31 अक्टूबर को उनके सरकारी आवास पर उन्हें गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी थी। उनके बचने का कोई चांस नहीं बचा था। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की लेकिन वो असफल रहे।
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