इंडियन एयर फोर्स से हर साल लगभग 80 पायलट दे रहे इस्तीफा, जानिए क्या है वजह
इंडियन एयर फोर्स से हर साल लगभग 80 पायलट दे रहे इस्तीफा, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली। कई चुनौतियों, परीक्षाओं और दिन रात की कठिन ट्रेनिंग के बाद भारतीय वायु सेना में पायलट बनने का गौरव प्राप्त होता है। लेकिन भारतीय वायु सेना में इतनी मुश्किलों के बाद अपना सपना पूरा करने वाले पायलट चंद वर्षों में ही इस्तीफा देकर सेना को हमेशा के लिए अलविदा बोल दे रहे हैं। जानिए आखिर इसकी बड़ी वजह क्या है ?
बीते दस वर्षों में 798 पायलटों ने सेना से इस्तीफा दे दिया
बता दें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) से बीते दस वर्षों में 798 पायलटों ने सेना से इस्तीफा दे दिया। ये चौंकाने वाली सूचना का खुलासा भारतीय वायुसेना ने स्वयं सूचना के अधिकार (आरटीआई ) की याचिका के तहत जवाब देते हुए दी है। ये याचिका इंडिया टुडे ने दाखिल की थी। इसमें जानकारी दी गई कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय वायु सेना के 798 पायलटों ने आईएएफ छोड़ दिया, उनमें से 289 को निजी एयरलाइंस की उड़ान भरने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी ) दिया गया। आईएएफ ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर आवेदन के जवाब में यह खुलासा किया।
हर साल औसतन 80 पायलट इस्तीफा दे रहे हैं
बता दें यही कारण है कि भारतीय वायु सेना पायलटों की कमी होने लगी है। 2018 में ही भारतीय वायुसेना 376 पायलटों की कमी से जूझ रही थी। 2016 में 100 पायलटों और 2017 में 114 ने इस्तीफा देकर भारतीय वायुसेना को छोड़ दिया। 2015 में 37 पायलटों ने अपने रिटायरमेंट से पहले इस्तीफा दिया। हालांकि 2015 में पिछले कई साल की तुलना में सबसे कम पायलटों ने इस्तीफा दिया। इस हिसाब से अंदाजा लगाया जाए तो हर साल औसतन 80 पायलट इस्तीफे दे रहे हैं।
पायलटों की कमी स्थिति के अनुकूल नहीं है
1 फरवरी, 2018 को, सरकार ने राज्य सभा को सूचित किया कि इंडियन एयर फोर्स के पास 4,851 की स्वीकृत शक्ति के खिलाफ 3,855 पायलट थे। फरवरी 2018 में 376 पायलटों की कमी का सामना कर रही है। यह वायुसेना की तैयारियों पर बुरी तरह से प्रतिबिंबित करता है। ये स्थिति IAF की तैयारियों के अनुकूल नहीं है।
इस वजह से पायलट दे रहे आईएएफ से इस्तीफा
आरटीआई के तहत वायु सेना द्वारा किए गए खुलासे पर गौर करने पर ये स्पष्ठ है कि 798 पायलटों में से 289, को प्राइवेट एयरलाइंस की फ्लाइट्स के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट हासिल किया। जिससे साफ है कि पिछले एक दशक में वायु सेना छोड़ने वाले इन पायलटों में एक तिहाई हो सकता है प्राइवेट एयरलांइस के प्लेन उड़ा रहे हो।
प्राइवेट एयरलाइंस ज्वाइन करने पर पायलट को ये हो रहा लाभ
खबरों के अनुसार आईएएफ में सामान्य तौर पर एक पायलट एक महीने में करीब 2 लाख रुपये सैलरी पाता है लेकिन जब वह एक प्राइवेट एयरलाइंस ज्वाइन करता है तो उसकी सैलरी चार गुना तक बढ़ सकती है। अधिकतर IAF पायलट 20 साल की सेवा पूरी करने के बाद वायुसेना छोड़ देते हैं और पेंशन भी पाते हैं। क्या भारतीय वायुसेना ने पायलटों के सेवा छोड़ने और प्राइवेट एयरलाइंस को ज्वाइन करने से रोकने के लिए कोई नीति बनाने के बारे में विचार कर रही इस सवाल के जवाब में आईएएफ ने कहा कि ऐसी कोई योजना या नीतियां मौजूद नहीं हैं।
निजी एयरलाइन में कितने पायलट हुए शामिल?
सेवानिवृत्ति से पहले छोड़ने वालों में से कितने निजी एयरलाइंस में शामिल हो गए हैं? इस सवाल के जवाब में, कार्मिक सेवा निदेशालय, एयर हेड क्वार्टर ने कहा, "निजी एयरलाइन में शामिल होने वाले अधिकारियों के बारे में विवरण उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है क्योंकि ऐसा कोई डेटा नहीं रखा गया है। यह सार्वजनिक प्राधिकरण निजी एयरलाइंस में शामिल होने के लिए एनओसी प्रदान करता है।" कार्मिक सेवा निदेशालय ने पूर्व आईएएफ पायलटों को जारी किए गए एनओसी के लिए रखे गए रिकॉर्ड को साझा किया।
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