दिल्ली में हर तीसरा व्यक्ति कोरोना का शिकार हुआ, 33% में मिली एंटीबॉडी, जानिए क्या हैं इसके मायने?
नई दिल्ली। दिल्ली में हर तीसरा व्यक्ति कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर चुका है यानी राजधानी दिल्ली में रह रहा हर तीसरा व्यक्ति कोरोना संक्रमित रह चुका है। यह चौंकाने वाला खुलासा सीरोलॉजिकल सर्वे के तीसरे रिपोर्ट में हुआ है। अगस्त से सितंबर के बीच किए सर्वे के आंकड़ों मुताबिक दिल्ली में लगभग 33 फीसदी निवासियों में कोविड 19 एंटीबॉडी विकसित की है। मसलन, लोग संक्रमित हुए और खुद ब खुद ठीक भी गए और उन्हें पता भी नहीं चला।
वैक्सीन
की
तुलना
में
मास्क
कोरोना
से
ज्यादा
बेहतर
सुरक्षा
प्रदान
करते
हैंः
अमेरिकी
स्वास्थ्य
अधिकारी
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तीसरे सीरोलॉजिकल सर्वे में दिल्ली के कुल 11 जिलों से नमूने लिए गए
रिपोर्ट के मुताबिक नवीनतम यानी तीसरे सीरोलॉजिकल सर्वे के लिए आंकड़े दिल्ली के कुल 11 जिलों से लिए गए करीब 17,000 नमूनों के प्रारंभिक विश्लेषण के बाद जारी किया गया है। हालांकि अंतिम आंकड़े अभी आधिकारिक रूप से जारी नहीं किए गए हैं।
दिल्ली में करीब 2 करोड़ लोगों में से 66 लाख लोग संक्रमित पाए गए
सीरो सर्वे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में रह रहे करीब 2 करोड़ लोगों में से 66 लाख लोग कोरोना पॉजिटिव होने के बाद बगैर किसी घातकता के सफलतापूर्व कोरोना से रिकवर हो गए, क्योंकि उनके शरीर ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करने में कामयाब रहीं।
दूसरे सीरो सर्वे में एंटीबॉडी विकसित करने वाला आंकड़ा 29.1 फीसदी था
गौरतलब है सीरो सर्वे के ताजा आंकड़े स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिए गए हैं और अब इसकी समीक्षा की जा रही है। एक अधिकारी ने बयाया कि अंतिम रिपोर्ट आने तक आंकड़ो में मामूली बदलाव हो सकता है, क्योंकि कुछ वार्डो के डेटा को भी फिर से जांचा जा रहा है। हालांकि अगस्त के पहले सप्ताह में किए दूसरे सीरो सर्वे में दिल्ली में एंटीबॉडी विकसित करने वालों को आकंड़ा 29.1 फीसदी था, जबकि पहले सर्वे में यह आंकड़ा 23.4 फीसदी था।
दूसरे सर्वे के लिए दिल्ली के विभिन्न जिलों से 15000 नमूने एकत्र किए गए थे
रिपोर्ट कहती है कि तीसरे सर्वे से पहले यानी दूसरे सर्वे के लिए दिल्ली के विभिन्न जिलों से 15000 नमूने एकत्र किए गए थे, जबकि पहले सर्वे में दिल्ली में 21000 से अधिक लोगों को नमूने एकत्र किए गए थे। ताजा सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के नियंत्रण क्षेत्रों से लिए गए नमूनों में उन लोगों की तुलना में उच्चतर सीरो प्रसार पाया गया, जो कभी वहां नहीं रहे थे।
संक्रमण के वास्तविक आंकड़े का पता लगाने के लिए सीरो सर्वे जरूरी है
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व प्रमुख ललित कांत ने बताया कि राज्य या शहर में संक्रमण के वास्तविक आंकड़े का पता लगाने के लिए सीरो सर्वे जरूरी है। यह सर्वे उन स्पर्शोन्मुख मरीजों की संख्या को पहचानने में महत्वपूर्ण कड़ी है, जो संक्रमित होने के बाद उबर चुके हैं। ऐसे लोग ज्यादातर मामलों मे यह भी नहीं जानते हैं कि वो संक्रमित हैं।
शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति SARS-CoV-2 के संक्रमण को इंगित करती है
वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर में एंटीबॉडी की उपस्थिति SARS-CoV-2 के संक्रमण को इंगित करती है, लेकिन यह हमेशा रोग के खिलाफ संरक्षण की गारंटी नहीं हो सकता है। कहने का मतलब है यह है कि शरीर में कितने प्रकार के एंटीबॉडी मौजूद हैं और उनमें से कितने एंटीबॉडीज कितने समय जीवित रहते हैं, क्योकि इनमें कुछ न्यूटरलाइज्ड एंटीबॉडी होते हैं और कुछ साधारण एंटीबॉडीज होते हैं।
एनएबीएस एंटीबॉडी वायरस को शऱीर के होस्ट सेल में घुसने से रोकते हैं
पुणे में भारतीय विज्ञान संस्थान, शिक्षा और अनुसंधान (IISER) में वैज्ञानिक विनिता बाल के मुताबिक शरीर में विकसित न्यूटरलाइज्ड एंटीबॉडी (एनएबीएस) नोवल कोरोना वायरस को शऱीर के होस्ट सेल में घुसने के रास्त को रोकते हैं, जबकि साधारण एंटीबॉडी वायरस के कई हिस्सों के खिलाफ उत्पन्न होते हैं। बाल ने बताया कि साधारण एंटीबॉडी वायरल की शरीर उपस्थिति के प्रति मेजबान के संकेतक हैं, लेकिन वह वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उपयोगी नहीं हैं।