संसद भवन और लुटियन दिल्ली भी नहीं है आग से सुरक्षित, दिल्ली फायर सर्विस ने किया आगाह
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के रानी झांसी रोड पर रविवार को एक फैक्ट्री में लगी भीषण आग में 43 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। हादसे में मारे गए लोगों को लिए पूरे देश ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं, वहीं पीएम मोदी ने भी इसपर दुख जताया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या दिल्ली में आग से बचने के लिए कभी कोई कड़ा कदम उठाया जाएगा या नहीं। दिल्ली फायर सर्विस के मुताबिक शहर में बहुत कम ऐसी इमारते हैं जो आग की स्थिति में भी लोगों को बचा सकती हैं।
ये इलाके हैं आग में ज्यादा खतरनाक
दिल्ली एक महानगर है और यहा कई घनी आबादी वाले इलाके हैं जहां बाजार से लेकर लोगों के रहने वाली जगहें शामिल हैं। चांदनी चौक, शाहदरा, सीलमपुर और दिल्ली 6 ऐसे कई इलाके हैं जो घनी आबादी वाले हैं, यहां पर अगर कोई अनचाही घटना होती है तो बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान होगा। दिल्ली फायर सर्विस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में शाहदरा, सीलमपुर जैसे घनी आबादी वाले इलाके तो छोड़िए सरकारी इमारते भी आग से सुरक्षित नहीं है।
सरकारी और वीआईपी इमारतें भी असुरक्षित
दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) के मुताबिक देश की संसद भी आग लगने पर सुरक्षित नहीं है, इतना ही नहीं अग्नि सुरक्षा के हिसाब से डीएफएस ने लुटियन दिल्ली में सरकारी बंगले भी आग से सुरक्षित नही हैं। डीएफएस के मुताबिक लुटियन दिल्ली में 100 से ज्यादा इमारते हैं जो अग्नि सुरक्षा के हिसाब से नहीं बनाए गए हैं या उनमें आग लगने की स्थिति में सुरक्षा के इंतजाम नहीं है।
डीएफएस ने किया चौंकाने वाला खुलासा
डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि इमारते काफी पुरानी होने की वजह से इन्हें NoC देने की जरूरत नहीं है। अपनी जांच में हमने इमारत में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया है जिसे कराना सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है। डीएफएस में 22 साल अपनी सेवा दे चुके पूर्व प्रमुख आर सी शर्मा के मुताबिक, लुटियन दिल्ली में इमारते पुरानी होने की वजह से यह आज के जमाने की जरूरतों के हिसाब से नहीं बनी हैं। यह काफी पूरानी हैं और कई वर्षों पहले बनाई गई थीं। इनमें आग लगने की स्थिति में बच निकलने की कोई सुविधा नहीं दी गई है।
फैक्ट्री में आग ने ली 43 लोगों की जान
दिल्ली में हुए इस भयानक घटना ने 43 लोगों की जान ले ली वहीं, मोहम्मद कासिम और रुकसाना का पूरा परिवार खत्म कर दिया। बिहार के सहरसा के रहने वाले मोहम्मद कासिम और रुकसाना के आंसू तो थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस घटना में उनके परिवार के 11 लोगों की मौत हो गई। रोते-रोत दोनों का बुरा हाल है। बिल्डिंग में चल रही फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का परिवार हादसे के बाद से अपनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं।
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