CAA के खिलाफ प्रस्ताव से यूरोपीय यूनियन ने ही बनाई दूरी, प्रवक्ता ने दिया बड़ा बयान
नई दिल्ली। यूरोपीय संघ ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में आए छह प्रस्तावों से खुद को अलग कर लिया है। ये प्रस्ताव छह राजनीतिक समूहों के नेताओं ने यूरोपीय संघ की संसद में पेश किए थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार मामले पर यूरोपीय संघ के प्रवक्ता विर्गिनी बट्टू हेनरिक्सन का कहना है कि यूरोपीय संसद की ओर से व्यक्त किए गए मसौदे और राय यूरोपीय संघ की आधिकारिक स्थिति को बयां नहीं करते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपीय संसद इस कानून (सीएए) पर चर्चा करने की योजना बना रही है। फिलहाल भारत का सुप्रीम कोर्ट इस कानून की संवैधानिकता पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, अपनी प्रक्रिया के तहत यूरोपीय संसद ने एक मसौदा प्रस्ताव जारी किया है। यह जानना जरूरी है कि ये महज मसौदा है जिसे यूरोपीय संसद के अलग-अलग राजनीतिक समूहों ने पेश किया है। हम ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह यूरोपीय संघ की स्थिति को नहीं दर्शाता है।
बता दें यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है। सांसदों के इस प्रस्ताव पर भारत कड़ी प्रतिक्रिया जता चुका है। भारत को इस मामले में फ्रांस का भी साथ मिला है। फ्रांस के राजनयिक से जुड़े सूत्र ने बताया कि सीएए भारत का आतंरिक मामला है। ये बात हम कई मौकों पर कह चुके हैं। फ्रांस का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य देश है।
इससे पहले भारत ने यूरोपीय संघ से कहा था कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है। इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यम से अपनाया गया है। हम ये उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन किया जाएगा। बता दें सीएए के खिलाफ भारत के कई हिस्सों में प्रदर्शन जारी हैं। यूरोपीय संघ के अलावा मलेशिया, तुर्की समेत कई ऐसे देश हैं जिन्होंने इसका विरोध किया है। वहीं अमेरिका और फ्रांस जैसे बड़े देशों ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया है।
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