MP उपचुनाव: सांची की चौधराहट के लिए भाजपा और कांग्रेस ने लगाया पूरा दांव, कौन बनेगा चौधरी ?
भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हो रहा उपचुनाव बस विधायक चुनने का चुनाव भर नहीं है। इसके नतीजों में ही सरकार का भविष्य छिपा है। यही वजह है कि एक-एक सीट पर भाजपा और कांग्रेस में जोर-आजमाइश पूरे जोर पर है। इसी कड़ी में सांची (Sanchi) विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी रोमांचक है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा अपनी चौधराहट साबित करने के लिए लड़ रहे हैं। भाजपा से जहां वर्तमान सरकार में मंत्री और कांग्रेस छोड़कर आने वाले प्रभुराम चौधरी मैदान में हैं तो कांग्रेस ने मुकाबले में उसी जाति के मदन चौधरी को उतारकर दांव चला है।
भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सिंधिया कैंप के प्रभुराम ने महाराज के साथ ही पाला बदलकर भाजपा का दामन थामा था। प्रभुराम के लिए जहां ये चुनाव साख का सवाल तो हैं मंत्री पद बचाने के लिए भी उनके लिए ये सीट जीतना जरूरी है। वैसे तो सांची सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में आता है बावजूद इसके प्रभुराम के लिए यहां चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।
प्रभुराम
के
लिए
मुश्किल
हैं
जंग
सांची
में
प्रभुराम
चौधरी
अब
तक
कांग्रेस
का
चेहरा
रहे
हैं।
उनका
मुकाबला
भाजपा
के
गौरीशंकर
सेजवार
और
उनके
परिवार
से
होता
रहा
है।
2008
में
चौधरी
ने
गौरीशंकर
शेजवार
को
तो
2018
में
उनके
बेटे
मुदित
शेजवार
को
शिकस्त
दे
चुके
हैं
लेकिन
इस
बार
दोनों
एक
ही
दल
में
हैं।
आम
चुनाव
में
मुदित
शेजवार
जिन
प्रभुराम
से
हारे
हैं
उपचुनाव
में
उन्हीं
के
लिए
वोट
मांगना
होगा।
इसके
साथ
ही
प्रभुराम
के
आने
से
शेजवार
का
दावा
भी
भाजपा
में
कमजोर
होगा
ऐसे
में
मुदित
प्रभुराम
के
लिए
किस
हद
तक
जुटते
हैं
ये
भी
देखना
होगा।
प्रभुराम चौधरी कांग्रेस के पुराने नेताओं में रहे। 1985 में पहली बार विधायक बने थे। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के सदस्य से होते हुए संयुक्त सचिव और महामंत्री बने। 2018 में जब प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया गया। कांग्रेस में जब बगावत हुई तो सिंधिया कैंप के प्रभुराम भी भाजपा में चले गए और यहां भी मंत्री बने। वहीं मदन चौधरी ने 2000 से राजनीति में सक्रिय चेहरा हैं। देखना होगा कि वे प्रभुराम को कैसे मात दे पाते हैं।
ये
थे
पिछले
5
नतीजे
अगर
पिछले
पांच
चुनाव
के
नतीजों
को
देखें
तो
पता
चलता
है
कि
भाजपा
ने
यहां
तीन
बार
जीत
हासिल
की
जबकि
दो
चुनाव
कांग्रेस
ने
जीते
हैं।
1998
में
भाजपा
के
डॉक्टर
गौरीशंकर
शेजवार
ने
कांग्रेस
के
प्रभुराम
चौधरी
को
3130
मतों
से
हराया
था।
2003
में
शेजवार
ने
कांग्रेस
के
सुभाषबाबू
को
14
हजार
वोटों
से
हरा
दिया।
2008
में
ये
सीट
कांग्रेस
को
मिली
जब
प्रभुराम
चौधरी
ने
भाजपा
के
डॉ.
गौरीशंकर
शेजवार
को
9197
वोटों
से
हरा
दिया।
2013
में
शेजवार
और
चौधरी
फिर
आमने-सामने
थे
जहां
भाजपा
के
शेजवार
ने
प्रभुराम
को
20
हजार
वोटों
के
बड़े
अंतर
से
हरा
दिया।
2018
में
डॉ.
गौरीशंकर
शेजवार
के
बेटे
मुदित
चौधरी
को
भाजपा
ने
उम्मीदवार
बनाया
लेकिन
मुदित
को
कांग्रेस
के
प्रभुराम
ने
10814
वोट
से
पराजित
कर
दिया।
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