MP उपचुनाव: कौन बनेगा मेहगांव का महाराज ? यहां सिंधिया नहीं ये समीकरण होंगे किंगमेकर
भोपाल। मध्य प्रदेश की भिंड जिले की मेहगांव सीट (Mehgaon Assembly Constituency) पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा के प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया के लिए ये सीट जीतना जरूरी है क्योंकि अगर वे हारे तो मंत्री बने रहना मुश्किल होगा। भदौरिया कांग्रेस के टिकट पर जीते थे लेकिन वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। वहीं कांग्रेस के लिए हर सीट पर करो या मरो की स्थिति है। कांग्रेस ने यहां से हेमंत कटारे को उम्मीदवार बनाया है तो बसपा ने योगेश मेधा सिंह नरवरिया को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय रंग दे दिया है।
भाजपा
का
पलड़ा
भारी
बीते
25
साल
की
राजनीति
देखें
तो
यहां
भाजपा
का
पलड़ा
भारी
रहा
है
लेकिन
2018
के
चुनाव
में
ओपीएस
भदौरिया
ने
भाजपा
प्रत्याशी
को
बड़े
अंतर
से
हराकर
ये
सीट
कांग्रेस
को
दिलाई
थी।
खास
बात
है
कि
ये
इलाका
सिंधिया
परिवार
के
प्रभाव
से
भी
अछूता
माना
जाता
है।
भिंड
लोकसभा
से
सिंधिया
घराने
की
बेटी
और
राजस्थान
की
पूर्व
मुख्यमंत्री
वसुंधरा
राजे
ने
चुनाव
लड़ा
था
लेकिन
उन्हें
यहां
की
जनता
ने
हरा
दिया
था।
ऐसे
में
भदौरिया
के
पास
जहां
सिंधिया
के
सहारे
के
करिश्मे
की
ज्यादा
उम्मीद
नहीं
है
वहीं
उन्हें
भाजपा
के
कैडर
को
साधने
की
चुनौती
भी
है।
भदौरिया
कांग्रेस
छोड़कर
भाजपा
में
आए
हैं
ऐसे
में
भाजपा
के
पुराने
नेताओं
और
कार्यकर्ताओं
को
उन्हें
अपनाने
में
दिक्कत
तो
होगी।
हालांकि
प्रदेश
में
भाजपा
की
सरकार
को
बचाने
के
नाम
पर
भाजपा
कैडर
साथ
आने
की
उम्मीद
है।
वहीं
भदौरिया
को
एक
बार
फिर
सजातीय
वोटों
का
समर्थन
मिलने
की
उम्मीद
है।
कटारे
के
सामने
ये
मुश्किल
कांग्रेस
ने
युवा
चेहरे
हेमंत
कटारे
को
अपना
उम्मीदवार
बनाया
है।
कटारे
पड़ोसी
सीट
अटेर
से
एक
बार
विधायक
रहे
हैं
और
कांग्रेस
के
ब्राह्मण
चेहरा
रहे
पूर्व
मंत्री
सत्यदेव
कटारे
के
बेटे
हैं।
पिता
सत्यदेव
कटारे
के
निधन
के
बाद
उन्हें
सहानुभूति
लहर
में
जीत
मिली
थी
लेकिन
2018
में
वह
अपनी
सीट
नहीं
बचा
पाए
और
भाजपा
के
अरविंद
भदौरिया
से
चुनाव
हार
गए।
कटारे
के
सामने
एक
मुश्किल
पार्टी
के
नाराज
लोगों
को
साथ
रखने
की
भी
होगी।
यहां
से
सबसे
जोरदार
दावा
चौधरी
राकेश
सिंह
चतुर्वेदी
ही
थे
लेकिन
दिग्विजय
सिंह
और
कांग्रेस
के
अन्य
नेताओं
ने
उनका
विरोध
किया।
असर
ये
हुआ
कि
वे
टिकट
की
रेस
से
बाहर
हो
गए।
वैसे
ब्राह्मण
चेहरा
होना
कांग्रेस
प्रत्याशी
के
लिए
फायदेमंद
होगा।
पिछले
मुकाबलों
के
नतीजे
बीचे
पांच
चुनावों
में
यहां
3
बार
भाजपा
ने
जीत
दर्ज
की
है
जबकि
कांग्रेस
को
सिर्फ
एक
बार
विजयश्री
मिली।
वहीं
एक
बार
यहां
निर्दलीय
प्रत्याशी
ने
जीत
दर्ज
की।
1998
में
भाजपा
के
राकेश
शुक्ला
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
हरी
सिंह
को
पटखनी
दी
तो
2003
के
चुनाव
निर्दलीय
प्रत्याशी
मुन्ना
सिंह
ने
भाजपा
के
शुक्ला
को
मात
दे
दी।
2008
में
एक
बार
फिर
राकेश
शुक्ला
ने
वापसी
की।
शुक्ला
ने
आरएसएमडी
के
राय
सिंह
भदौरिया
को
शिकस्त
दे
दी।
2013
में
चौधरी
मुकेश
सिंह
चतुर्वेदी
को
भाजपा
ने
प्रत्याशी
बनाया।
चतुर्वेदी
ने
कांग्रेस
के
ओपीएस
भदौरिया
को
1273
वोट
से
हरा
दिया।
2018
में
ओपीएस
भदौरिया
एक
बार
फिर
कांग्रेस
के
टिकट
पर
मैदान
में
उतरे।
इस
बार
भदौरिया
ने
भाजपा
के
राकेश
शुक्ला
को
करीब
25
हजार
वोट
के
भारी
अंतर
से
हरा
दिया।
पिछले
चुनाव
में
भदौरिया
बिरादरी
का
एकजुट
होना
उनकी
जीत
का
कारण
बना
था।
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