कोरोना महामारीः जानिए, 70% से अधिक रिकवरी दर के बावजूद भारत में क्यों बढ़ रहे हैं नए मामले?
नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 23 लाख को पार कर चुकी है और 70 फीसदी से अधिक रिकवरी दर के बावजूद रोजाना 60000-62000 नए मामले आ रहे हैं। यही नहीं रोजाना हो रही मौतों के मामले में भी भी भारत में रोजाना नया रिकॉर्ड बन रहा है। वर्तमान में भारत में रोजना 800-900 लोगों की मौत के रिपोर्ट आ रही है, जिससे भारत में कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 45 हजार से अधिक हो चुकी है।
जानिए, दिल्ली-मुंबई में कोरोना के नए मामलों में गिरावट का राज़? क्या इसके पीछे है हर्ड इम्यूनिटी?
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कोरोनो मामलों की रिकवरी दर भारत में 70 फीसदी को पार कर गई है
बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि भारत में जब रिकवरी दर में लगातार सुधार हो रहा है तो फिर नए मामलों में कमी क्यूं नहीं हो रही है। ताजा आकंड़ों के मुताबिक भारत में नोवल कोरोनोवायरस मामलों की रिकवरी दर अब 70 फीसदी को पार कर गई है, लेकिन दैनिक आधार पर ठीक हो रहे मरीजों की तुलना में नए संक्रमित मामलों के दर में लगातार वृद्धि चिंता का सबब बन गया है, जिसका सीधा अर्थ है कि प्रतिदिन रिकवर होने वाले की तुलना में बीमार होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मंगलवार तक भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 23.29 लाख थी
मंगलवार तक भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 23.29 लाख थी, जिसमें से 70.38 फीसदी लोग बीमारी से उबर चुके हैं। यानी लगभग 27.64 फीसदी लोग अभी भी बीमार हैं, जबकि शेष 1.98 फीसदी बीमारी से उबर नहीं सके और महामारी की चपेट में आने से मारे गए।
महामारी के अंत तक 99 फीसदी से अधिक लोग ठीक हो चुके होंगे
दरअसल, रिकवरी दर में लगातार सुधार को लेकर कुछ खास नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि जब तक महामारी रसातल पर पहुंचेगी तब तक 99 फीसदी से अधिक लोग ठीक हो चुके होंगे, क्योंकि मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम हो सकती है। इस बीच नए मामलों और रिकवरी की दैनिक संख्या इसका संकेत दे सकती है कि उस चरण तक कितनी जल्दी पहुंचने की संभावना है।
केवल दिल्ली में भी नए मामलों ने गिरावट लगातार नहीं हो रही है
अगर दैनिक रिकवरीज नए मामलों का पता लगाने के लिए शुरू होती है और यह प्रवृत्ति कम से कम दो सप्ताह तक जारी रहती है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि बीमारी के प्रसार में गिरावट निकट में थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसी स्थिति से हर रोज सक्रिय मामलों में कमी आएगी। यह चरण अभी केवल दिल्ली में हासिल किया गया है और यहां भी गिरावट लगातार नहीं हो रही है।
दिल्ली में देश में सबसे अधिक रिकवरी दर लगभग 90 फीसदी है
जुलाई की शुरुआत के बाद से ज्यादातर मौकों पर दिल्ली में दैनिक रिकवरी की संख्या नए मामलों की तुलना में अधिक रही है। इस प्रवृत्ति के उलटने में विशेष रूप से इस महीने में कई दिन हो गए हैं, लेकिन अभी भी दिल्ली में देश में सबसे अधिक रिकवरी दर लगभग 90 फीसदी है।
राष्ट्रीय स्तर पर नए मामलों की तुलना में डेवाइज रिकवरी अधिक नहीं रही
राष्ट्रीय स्तर पर कभी भी नए मामलों की तुलना में डे वाइज रिकवरी की संख्या अधिक नहीं रही है। हालांकि ऐसा हुआ है कि जब इन दो संख्याओं के बीच का अंतर काफी निकट रहा है। उदाहरण के लिए पिछले तीन दिनों में नए मामलों ने दैनिक रिकवरीज को 5,000 से 7,000 तक बढ़ा दिया है, जो कुछ दिनों पहले देखी गई खाई से काफी कम है।
सोमवार को नए मामलों में हल्की गिरावट कारण कम टेस्टिंग हो सकती है
गत सोमवार को नए मामलों में हल्की गिरावट संभवत: सप्ताहांत में परीक्षण की संख्या कम होने के कारण आया हो, क्योंकि मंगलवार को देश में नए मामलों की संख्या एक बार फिर 60,000 के आंकड़े को पार कर गई। यह पिछले पूरे सप्ताह के लिए उस स्तर पर बना हुआ है।
एक लाख का आंकड़ा पार करने वाला पश्चिम बंगाल देश का 7वां राज्य बना
पश्चिम बंगाल देश का सातवां राज्य बन गया है, जहां संक्रमितों की कुल संख्या एक लाख का आंकड़ा पार कर गई है। मंगलवार को बंगाल में लगभग तीन हजार नए मामले सामने आए, जिससे वहां अब संक्रमितों की संख्या 1.01 लाख पार चुकी हैं। पश्चिम बंगाल में 73,000 से अधिक लोग यानी 72 फीसदी से अधिक पहले ही बीमारी से उबर चुके हैं, जबकि 2,100 लोगों की मौत हो चुकी है।
बिहार में भी संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख का अंक छूने जा रहा है
बिहार में भी संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख अंक छूने जा रहा है, जो सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है। बिहार के मामलों की दैनिक विकास दर अब आंध्र प्रदेश से अधिक है। हालांकि यह अभी भी आंध्र प्रदेश की तुलना में आधे से भी कम मामले सामने आ रहे हैं। अब तक बिहार में लगभग 87,000 लोग संक्रमित पाए गए हैं। जुलाई की शुरुआत में 10,000 से कम मामले थे। वैसे, बिहार में मौत की गिनती देश में सबसे कम है, जहां अब तक महज 465 मौते हुईं हैं। बिहार में मौत का आंकड़ा निश्चित रूप से सबसे अधिक कैसलोड वाले 10 राज्यों में सबसे कम है।