बड़ा झटका: PF पर ब्याज दरों में कटौती, 8.65 फीसदी से घटकर हुई 8.50 फीसदी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब छह करोड़ कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि ईपीएफओ ने अपने सदस्यों के भविष्य निधि (पीएफ) के ब्याज दर में कटौती की है। संतोष गंगवार के मुताबिक पीएफ पर 8.65 फीसदी की बजाए अब 8.50 फीसदी ही ब्याज मिलेगा। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने ब्याज दरों में 0.15 प्रतिशत की कटौती की है।
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शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में हुआ फैसला
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीएफ पर ब्याज दरों को लेकर गुरुवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक हुई जिसमें यह फैसला लिया गया। वित्त वर्ष के लिए 2019-20 के लिए पीएफ ब्याज दरों को 8.65 प्रतिशत से घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया गया है। बता दें कि पीएफ पर ब्याज दरों पर होने वाले सभी फैसले केंद्रीय न्यासी बोर्ड ही करता है लेकिन इसके लिए वित्त मंत्रालय की सहमति आवश्यक होती है।
ब्याज दरों में कटौती करने का था दबाव
मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि सरकरा ईपीएफओ निवेश पर कम रिटर्न मिलने की वजह से 5 मार्च को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में प्रोविडेंट फंड (पीएफ) के ब्याज दरों में कटौती कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार को पिछले एक साल में लॉन्ग टर्म एफडी, बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियों से ईपीएफओ को मिलने वाले रिटर्न में 50 से 80 बेसिस पॉइंट्स की कमी दर्ज की गई है। ऐसी भी खबरें थी कि वित्त मंत्रालय लगातार श्रम मंत्रालय पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव बना रहा था।
EPFO lowers interest rate on employee provident fund to 8.50 pc for 2019-20 from 8.65 pc in 2018-19: Labour Minister Santosh Gangwar
— Press Trust of India (@PTI_News) March 5, 2020
ईपीएफओ द्वारा दिया गया सालाना ब्याज
वित्त
वर्ष
2019-20
में
PF
की
ब्याज
दर
8.50%
वित्त
वर्ष
2018-19
के
लिए
8.65%
है।
वित्त
वर्ष
2017-18
के
लिए
8.55
%
वित्त
वर्ष
2016-17
के
लिए
ब्याज
दर
8.65
%
वित्त
वर्ष
2015-16
के
लिए
यह
8.8
%
वित्त
वर्ष
2013-14
में
8.75%
वित्त
वर्ष
2014-15
में
8.75
%
ब्याज के लिए मौजूदा ब्याज दर देना संभव नहीं
वित्त मंत्रालय के मुताबिक पीएफ पर अधिक रिटर्न देने पर बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं है, जो अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा। वहीं बैंकों की भी दलील थी कि पीएफ जैसी छोटी बचत योजनाओं और ईपीएफओ की ओर से ऊंची ब्याज दर दिए जाने के कारण लोग उनके पास रकम जमा नहीं कराना चाहेंगे। ऐसे में बैंकों के पास फंड जुटाने की समस्या बढ़ेगी।
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