पराली जलाने के मुद्दे पर 1 अक्टूबर को बैठक, कई राज्यों के पर्यावरण मंत्री होंगे शामिल
नई दिल्ली। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से सटे यूपी के जिलों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली एनसीआर में हर साल वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ जाती है। सर्दियों में बढ़ने वाले इस वायु प्रदूषण को लेकर 1 अक्टूबर को मंत्री स्तरीय समीक्षा बैठक होने जा रही है। पराली जलाये जाने से हर साल प्रदूषण फैलता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के बीच यह प्रदूषण दिल्ली एनसीआर के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा करने और उसका समाधान निकालने के लिए एक अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक एक अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। पर्यावरण मंत्रियों के अलावा, बैठक में राज्यों के पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और सभी नगर निगमों, डीडीए और एनडीएमसी के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
जावड़ेकर ने कहा कि, बैठक में पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए पिछले दो वर्षों में राज्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी। दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत में, जो अमूमन 15 अक्टूबर से शुरू होती हैं, किसान पराली को जलाना शुरू कर देते हैं और सर्दी के पूरे मौसम में इससे प्रदूषण फैल जाता है। उन्होंने कहा, धुंध सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एनसीआर के शहरों, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कई स्थानों तक फैली हुई है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, 2016 में, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यूआई) शुरू किया। हम मानते हैं कि किसी समस्या को स्वीकार करना उसके समाधान की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र को बंद किया गया है। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को दिल्ली से बाहर स्थानांतरित किया गया है। इसके अलावा दिल्ली के बाहर ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल सड़क बनने से रोजाना 60 हजार ट्रकों को अब दिल्ली आने की जरूरत नहीं पड़ती।
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