MGR, जयललिता के बाद मेगास्टार रजनीकांत की राजनीति में एंट्री, ये बड़ी मुश्किल
नई दिल्ली। तमिलनाड़ु की राजनीति में एक और मेगास्टार की एंट्री हो गई है। यह पहली बार नहीं है कि जब दक्षिण भारत की राजनीति में किसी मेगास्टार की एंट्री हुई है, इससे पहले ही एमजीआर ने तमिलनाड़ु की राजनीति में कदम रखा और लोगों के सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे थे। बड़े परद से राजनीति की दुनिया में एमजीआर के बाद जयललिता की एंट्री हुई थी और दोनों ही तमिलनाडु की मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की थी। ऐसे में दोनो बड़े पर्दे के कलाकारों ने जिस तरह से राजनीति में कदम रखने के बाद शीर्ष पर पहुंचने में सफलता हासिल की है, उसके बाद अब रजनीकांत के सामने यह चुनौती है कि वह बड़े पर्दे के बाद राजनीति की दुनिया में क्या इस मुकाम को हासिल कर सकते हैं।
सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे एमजीआर
तमिलनाडु की राजनीति में सबसे पहले बड़े मेगास्टार के तौर पर एमजीआर की एंट्री हुई थी, उन्होंने राजनीति में ग्लैमर का तड़का दिया और वह लोगों के बीच जबरदस्त लोकप्रिय हुए। 1936 में फिल्मी कैरियर की शुरुआत करने वाले एमजीआर रोमांटिक फिल्में करने के लिए जाने जाते थे। जिस तरह से उनकी लगातार लोकप्रियता बढ़ी उसके बाद वह जल्द ही तमिल सिनेमा के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उभरे और उन्होंने एक्टिंग के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता। 1987 में फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया था और आखिरी फिल्म की थी। वर्ष 1953 में ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी, लेकिन 1953 में डीएमके में शामिल होने के बादद वह पहली बार 1962 में विधानसभा का चुनाव जीता, जिसके बाद वह प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने।
जयललिता ने हासिल की जबरदस्त सफलता
एमजीआर के बाद बड़े पर्दे की अभिनेत्री जयललिता ने भी राजनीति की दुनिया में कदम रखा, वह एमजीआर के काफी करीब थीं और एमजीआर ही उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। एमजीआर की ही तरह जयललिता ने ना सिर्फ बड़े पर्दे पर बल्कि राजनीति में जबरदस्त सफलता हासिल की, लोग उन्हें अम्मा के नाम से पुकारते थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वह जेल गई थीं तो लोगों ने आत्महत्या कर ली और कुछ लोगों का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। राजनीति की दुनिया में भी जयललिता शिखर पर पहुंची और बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने प्रदेश की सत्ता संभाली।
रजनीकांत के पास नहीं है राजनीतिक विरासत
जिस तरह से एमजीआर और जयललिता ने राजनीति की दुनिया में भी अपना नाम स्थापित करने में सफलता हासिल की उसी तरह से रजनीकांत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके पास मौजूदा समय में कोई भी राजनीतिक अनुभव नहीं है। एमजीआर ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत मुथुवेल करुणानिधि के साये में की और जयललिता ने एमजीआर के साये में राजनीति की शुरुआत की। लेकिन रजनीकांत के पास इस तरह का कोई ना तो साथ है और ना ही अनुभव। ऐसे में रजनीकांत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे इस बड़े पर्दे की लोकप्रियता को राजनीति की पिच पर सफल बनाने में कामयाब होते हैं।