अंग्रेजी के जानेमाने लेखक अमिताव घोष को मिलेगा 2018 का ज्ञानपीठ पुरस्कार
नई दिल्ली। प्रख्यात अंग्रेजी लेखक अमिताव घोष को साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2018 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। ज्ञानपीठ पुरस्कार की चयन समिति की आज यहां बैठक में घोष को 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने का निर्णय लिया गया। घोष को 'शैडो लाइन्स' उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिल चुका है। वह पद्मश्री से नवाजे जा चुके हैं।
11 जुलाई 1956 को कोलकाता में जन्मे घोष दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेन कॉलेज और दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने पहले उपन्यास द 'सर्किल आफ रीजन' से चर्चा में आये और बाद में उनकी ख्याति देश के एक बड़े अंग्रेजी लेखक के रूप में बनी। घोष इंडियन एक्सप्रेस अखबार में पत्रकार भी रहे हैं।
पुरस्कार की घोषणा किए जाने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए अमिताव घोष ने ट्विटर पर लिखा कि, मैं सम्मानित और विनम्र महसूस कर रहा हूं। कार्यक्रम में अमिताव घोष ने कहा था कि 30 साल पहले जब आप लेखक बनना चाहते थे तो इसकी हंसी उड़ाई जाती थी। कारण कि हम जैसे लोग लेखक नहीं बनना चाहते थे। हम नौकरशाह या बैंक प्रबंधक बनना चाहते थे। लेकिन बाद के बरसों में चीजें बदल गईं।
- दी सर्किल ऑफ रीज़न (1986)
- दी शैडो लाइन्स (1988)
- दी कलकत्ता क्रोमोजोम (1995)
- दी ग्लास पैलेस (2000)
- दी हंग्री टाइड (2004)
- सी ऑफ पॉपिस (2008)
- रिवर ऑफ स्मोक (2011)
- फ्लड ऑफ फायर (2015)
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