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Rosy Behera: इंजीनियरिंग की छात्रा MGNREGA मजदूर बनने को मजबूर, कॉलेज फीस चुकाने के लिए उठा रही मिट्टी

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नई दिल्ली। ओडिशा (Odisha) के पुरी में रहने वाली एक इंजीनियरिंग छात्रा रोजी बेहरा (Engineering student Rosy Behera) अपनी कॉलेज की फीस भरने के लिए मनरेगा (MGNREGA) मजदूर बनने के मजबूर हो गई है। छात्रा रोजी बेहरा (Rosy Behera) ने अपने संघर्ष की कहानी दुनिया को बताते हुए कहा कि कॉलेज (college) ने उन्हें प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया है जिसकी वजह से बकाया फीस चुकाने के लिए उन्हें मिट्टी ढोने का काम करना पड़ रहा है। रोजी पिछले 20 दिनों से मनरेगा में काम कर रही हैं।

मनरेगा मजदूरी कर पाई-पाई जोड़ रहीं रोजी

मनरेगा मजदूरी कर पाई-पाई जोड़ रहीं रोजी

गौरतलब है कि दो दिन पहले ही भारत ने अपना 72वां गणतंत्र दिवस मनाया। इस मौके पर दिल्ली के राजपथ पर निकाल गए परेड में शिक्षा के अधिकार का संदेश भी देखने को मिला। लेकिन ओडिशा की छात्रा रोजी बेहरा की कहानी सामने आने के बाद एक बार फिर देश के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सच में शिक्षा सबको मिल पा रही है? आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से इंजीनियरिंग की स्टूडेंट रोजी बेहरा को मजदूरी करनी पड़ रही है।

बिना फिस चुकाए नहीं मिलेगा डिप्लोमा

बिना फिस चुकाए नहीं मिलेगा डिप्लोमा

कड़ी मेहनत और लगन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब रोजी को अपने डिप्लोमा के लिए मिट्टी ढोने का काम करना पड़ रहा है। रोजी के मुताबिक कॉलेज बिना फीस चुकाए डिप्लोमा देने को राजी नहीं है, और उनकी स्थिति फिस चुकाने की नहीं है। कॉलेज से प्रमाण पत्र लेने के लिए अब रोजी को मनरेगा मजदूर बनकर पैसे जोड़ने पड़ रहे हैं।

कॉलेज को देनी है 44 हजार रुपए फीस

कॉलेज को देनी है 44 हजार रुपए फीस

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रोजी मनरेगा मजदूर के तौर पर रोजाना करीब 207 रुपए की कमाई कर रही हैं, जबकि डिप्लोमा लेने के लिए उन्हें लगभग 44 हजार रुपए की दरकार है। बता दें कि रोजी पुरी जिले के पिपली ब्‍लॉक के गोराडापिढ़ा गांव में मिट्टी ढोने का काम कर अपने डिप्लोमा के लिए एक-एक रुपए जोड़ रही हैं। रोजी के पिता भी एक मजदूर हैं जिस वजह से बड़ी मुश्किल से उनके घर का खर्च चलता है।

2016-2019 सत्र में की इंजीनियरिंग की पढ़ाई

2016-2019 सत्र में की इंजीनियरिंग की पढ़ाई

रोजी का कहना है कि उन्हें बस अपनी कॉलेज डिप्लोमा का इंतजार है ताकि वह फीस भरकर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकें और भविष्‍य में एक अच्‍छा करियर उसे मिल सके। जानकारी के मुताबिक रोजी ने साल 2016-2019 सत्र में एक प्राइवेट कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कोर्स करने के लिए उन्हें सरकारी अनुदान से मदद मिली थी लेकिन हॉस्‍टल की फीस भरने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे।

हरकत में आया स्थानीय प्रशासन

रोजी के मुताबिक उन्हें 44,000 रुपए की आवश्यकता है ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। रोजी ने सरकार तक भी अपनी बात पहुंचाई लेकिन उन्हें वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। रोजी की कहानी अब दुनिया के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है, हाल ही में देलांग ब्‍लॉग के वेल्‍फेयर एक्‍टेंशन ऑफ‍िसर रोजी से मिलने पहुंचे थे। अधिकारी ने कहा, रोजी वित्तीय स्थिति के कारण अपने कॉलेज की फीस का भुगतान नहीं कर सकीं। उन्होंने डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। हम इस मामले को देखेंगे।

यह भी पढ़ें: AMU के छात्र शादाब को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से किया सम्‍मानित, पूछा ये सवाल

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English summary
Engineering student Rosy Behera became daily wage laborer for pay college fees
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