'अबतक 56' की प्रेरणा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को इन 8 मुठभेड़ों ने किया मशहूर
नई दिल्ली- ऐसा कहा जाता है कि नाना पाटेकर की भूमिका वाली राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'अब तक छप्पन' प्रदीप शर्मा से ही प्रेरित होकर बनी थी। मुंबई पुलिस में शामिल 1983 बैच के कई पुलिस अफसरों ने अपनी पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की बनाई थी, जिन्होंने 90 की दशक में 300 से ज्यादा मुठभेड़ों को अंजाम दिए थे। उनमें से 113 एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड अकेले प्रदीप शर्मा के नाम पर बना। आइए जानते हैं कि उनका पहला शिकार कौन था और किन बड़े मामलों ने उनकी ऐसी पहचान कायम करने में मदद की जिससे अंडरवर्ल्ड के गैंगस्टर से लेकर आतंकवादी सरगना भी थर्राते थे। जिसके कारण आखिरकार बॉलीवुड भी उनसे प्रेरित होकर खुद को फिल्म बनाने की लालच से रोक नहीं पाया।
इंटेलिजेंस जुटाने में माहिर
प्रदीप शर्मा मुंबई पुलिस में 21 जनवरी, 1983 को शामिल हुए थे और उनकी पहली पोस्टिंग माहिम पुलिस स्टेशन में की गई थी। शर्मा के सीनियर्स ने बहुत जल्दी भांप लिया कि लोगों से खुफिया जानकारी जुटाने का उनका स्किल बेजोड़ है। इसके चलते उन्हें तुरंत क्राइम ब्रांच में भेज दिया गया। 80 और 90 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड के खौफ से परेशान थी, जिन्हें नेस्तनाबूद करने की जिम्मेदारी सरकार ने क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी और उसके अफसरों को शर्मा से काफी उम्मीदें टिकी थीं। शर्मा को जिस भरोसे के साथ क्राइम ब्रांच में एंट्री मिली थी, उन्होंने बहुत जल्द उसपर काम करना भी शुरू कर दिया।
सुपरकॉप प्रदीप शर्मा का पहला शिकार
क्राइम ब्रांच में खुफिया जानकारी जुटाते-जुटाते प्रदीप शर्मा का लंबा समय बीता। लेकिन उन्हें पहला एनकाउंटर करने का मौका मिलने में 10 साल से ज्यादा लग गए। अंडरवर्ल्ड के एक गैंगस्टर से उनकी पहली मुठभेड़ 6 मई, 1993 को हुई। तब उनके साथ एक और सब इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी थे। उस दिन इंस्पेक्टर शंकर कांबले ने दोनों को बुलाकर एके-56 राइफल रखने वाले अंडरवर्ल्ड के हिटमैन सुभाष मकड़ावाला को धर-दबोचने का जिम्मा सौंपा था। जब शर्मा और सालस्कर उसके ठिकाने पर पहुंचे तो मकड़ावाला उन्हें देखकर भागने की कोशिश करने लगा। दोनों ओर से गोलीबारी हुई, लेकिन आखिरकार वह बदमाश प्रदीप शर्मा की 9एमएम कार्बाइन की गोलियों के सामने आ गया। यह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा का पहला शिकार था, लेकिन तब उनके साथ सालस्कर भी मौजूद थे। गौरतलब है कि बाद में विजय सालस्कर 2008 में 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान पाकिस्तानी आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे।
शर्मा के 7 और मशहूर शिकार
शर्मा ने यूं तो कुल 113 गैंगस्टर और कुख्यात बदमाशों को मुठभेड़ों में मार गिराया था, लेकिन 8 मामले ऐसे हैं जिन्होंने उन्हें सुर्खियों में लाने में बड़ी भूमिका अदा की। मकड़ावाला को मार गिराने के बाद भी प्रदीप शर्मा पब्लिक की नजर में नहीं आ सके थे। उन्हें जिन एनकाउंटर्स ने बड़ी पहचान दिलाई, उनमें पहला नाम खतरनाक गैंगस्टर विनोद मटकर का रहा। मटकर के अलावा परवेज सिद्दीकी, रफिक डब्बावाला, सादिक कालिया वे बड़े दुर्दांत और अंडरवर्ल्ड से जुड़े गैंगस्टर थे, जो एक के बाद एक शर्मा की गोलियों का शिकार बनते चले गए। यही नहीं लश्कर-ए-तैयाब के तीन संदिग्धों को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद तो शर्मा का नाम पूरे देश में जाना जाने लगा और उनके नाम से भी अंडरवर्ल्ड के लोग खौफ खाने लगे।
दाऊद इब्राहिम के भाई की गिरफ्तारी
हालांकि, जिन मुठभेड़ों की वजह से प्रदीप शर्मा मशहूर हुए, उसी की वजह से उनके करियर में एक बहुत बड़ी रुकावट भी आ गई थी। उन्हें रामनारायण गुप्ता उर्फ लख्खन भैया के फर्जी मुठभेड़ के आरोप में नौकरी से निकाल भी दिया गया। बाद में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया और वे फिर से पुलिस सेवा में आ गए। लेकिन, अंडरवर्ल्ड में उनके नाम का खौफ इस कदर हावी हो चुका था कि वे उनका नाम सुनकर हीं कांपते थे। 2017 में उन्हें भनक लगी कि 1993 के मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम का भाई इकबाल कास्कर साऊथ मुंबई के किसी ठिकाने पर छिपा है, तो वे उसे पकड़ने के लिए पहुंच गए। इकबाल कास्कर पर जबरन उगाही का केस दर्ज था और वह अपनी बहन हसीना पार्कर के घर में छिपा बैठा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जैसे ही उसे लगा कि अब एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा से बचना मुश्किल है, तो उसने खुद अपने हाथ ऊपर करके उनके सामने सरेंडर कर देने में ही भलाई समझी और उसकी जान बच गई।
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