भारतीय साहित्य को भारतीय नजरिए से देखा जाए,बदलती तकनीक से कदम मिलाना होगा: भगवती प्रकाश
आज भारत में बेरोजगारी बड़ी चुनौती है, जिसके कारण कई बार सामाजिक तनाव भी हो जाता है। चीन ने विंडोज के विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली। भारतीय नव वर्ष के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यकाम भवन में शिक्षा में उभरती वैश्विक तकनीकी, सांस्कृतिक चुनौतियों के प्रतिकार के सामर्थ्य का विकास आवश्यक विषय पर नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक व उदयपुर एवं पेसिफिक यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि प्राचीन साहित्य का ठीक से शोध हो तो भारत को पिछड़ा कहने का दृष्टिकोण बदल जाएगा। प्राचीन साहित्य में प्रकाशित सामग्री का भारतीय नजरिये से पुनर्मूल्यांकन किए जाने की जरूरत है। भारतीय शिक्षा पर आज भी पश्चिमी नजरिया हावी है।
उन्होंने कहा कि आज भारत में बेरोजगारी बड़ी चुनौती है, जिसके कारण कई बार सामाजिक तनाव भी हो जाता है। चीन ने विंडोज के विकल्प पर काम करना शुरू कर दिया है। अगर चीन ऐसा कर सकता है तो भारत क्यों नहीं? हमें तकनीक में हो रहे बदलाव के साथ चलना होगा, नहीं तो पिछड़ जाएंगे। विदेश में भारतीय तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। देश में भी यह काम किया जा सकता है। समय आ गया है कि शिक्षक सस्ती तकनीक के इस्तेमाल पर काम करें। बदलते सामाजिक सास्कृतिक परिदृश्य में आज शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने की जरूरत है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सदस्य डॉ. इंद्रमोहन कपाही ने कहा कि एनडीटीएफ ने सदैव राष्ट्रीय विचारों के वाहक की भूमिका निभाई है। भारतीय नव वर्ष का प्रकृति, ब्रह्माड और मनुष्य से गहरा रिश्ता है। यह नव वर्ष हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का काम करता है। अंत में एनडीटीएफ अध्यक्ष डॉ. अजय भागी ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि संगठन शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।कार्यक्रम के अंत में एन.डी.टी.एफ़ के अघ्यक्ष अजय भागी ने कहा सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि एन.डी.टी.एफ ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और शिक्षको की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर कार्यरत है।कार्यक्रम का संचालन सलोनी गुप्ता ने किया।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भागीदारी की।
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