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पांच पुख्ता वजहें जिनके चलते लोकसभा चुनाव तक टाले जाएंगे तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव

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नई दिल्ली। देश में साल के अंत में तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित हैं। लेकिन देश में 'वन नेशन वन पोल' की चर्चा के बीच ये खबरें भी निकल कर सामने आ रही हैं कि हो सकता है इन चुनावों को फिलहाल टाल दिया जाए और लोकसभा चुनाव 2019 के साथ ही इन्हें काराया जाए। 2014 में लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा के चुनाव कराए गए थे और 2019 में भी इनके एक साथ ही होने की संभावना है। ऐसे में क्या मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को टाल कर लोकसभा चुनाव के साथ ही कराया जा सकता है ? इसे बीजेपी की चुनावी रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।

Assembly polls

तैयार नहीं चुनाव आयोग

खबरें आ रही हैं कि खुद भारत का चुनाव आयोग मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव वक्त पर कराने को लेकर तैयार नहीं है। कहा जा रहा है कि इन राज्यों में चुनाव की बात जनवरी - फरवरी 2019 के बाद बताई जा रही है और ऐसे में बहुत हद तक ये संभावना है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही इन्हें कराया जाएगा।

चुनाव टालने के तर्क

चुनाव टालने के तर्क

1. भारत के निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि अभी चुनाव आयोग के अधिकारी और खुद मुख्य चुनाव आयुक्त कई राज्यों का दौरा कर रहे हैं। हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त ने मध्यप्रदेश का भी दौरा किया था। इन अधिकारियों को एक बार फिर इन राज्यों में जाना है और इस पूरी प्रक्रिया में सितंबर का पूरा महीना लग जाएगा।

2. दूसरा तर्क ये है कि अक्टूबर का महीना छुट्टियों और त्यौहारों से भरा है। गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश है, 10 अक्टूबर से नवरात्र हैं, 19 अक्टूबर को दशहरा और फिर 7 नवंबर को दीपावली है।

3. इसके अलावा नवंबर के महीने में मध्यप्रदेश में फसलें बोई और काटी जाती हैं ज्यादातर लोग इसमें काफी व्यस्त रहते हैं।

4. चुनाव आयोग के सूत्रों का ये भी कहना है कि नवंबर में मध्यप्रदेश में मुस्लिम समुदाय का बड़ा कार्यक्रम 'आलमी तब्लीगी इज्तिमा' होता है। चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस बलों की तैनाती की आवश्यकता रहती है। इसलिए नवंबर में भी चुनाव कराने मुश्किल हैं।

5. दिसंबर और जनवरी वो वक्त रहता है जब स्कूलों के शिक्षकों को परेशान नहीं किया जा सकता क्योंकि उस वक्त स्कूलों में पढ़ाई का जोर रहता है और फरवरी में परीक्षा का समय होता है। चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर बड़े पैमाने पर पुलिस और सुरक्षा बलों को ठहराने के लिए स्कूली भवनों की जरूरत रहती है जो उस वक्त मिलना संभव नहीं है।

फरवरी 2019 के बाद चुनाव

फरवरी 2019 के बाद चुनाव

अब इन तमाम तर्कों और चुनाव आयोग की वर्तमान तैयारी को देखते हुए लग रहा है कि फरवरी 2019 से पहले इन राज्यों में चुनाव संभव नहीं हैं। ऐसे में अगर चुनाव फरवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दिए जाते हैं तो पूरी संभवना है कि उन्हें फिर अप्रैल 2019 में ही कराया जाए।

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एक साथ चुनाव की रणनीति

एक साथ चुनाव की रणनीति

केंद्र सरकार इस तरह से चुनाव का कार्यक्रम तय करने की कोशिश कर रही है कि वो लोकसभा चुनाव के साथ ही ज़्यादा से ज़्यादा राज्यों के विधानसभा चुनाव करवा ले। इसलिए सरकार लोकसभा के साथ कुछ बीजेपी शासित राज्यों के चुनाव करा सकती है और अगर सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा और झारखंड के चुनाव भी कराए जा सकते हैं। वैसे इन दोनों राज्यों के चुनाव 2019 के अक्टूबर-नवंबर में होने चाहिए।

अब सवाल ये है कि क्या वकाई में ये तर्क वाजिब हैं और इनकी वजह से तीन बड़े राज्यों में चुनावों को टाला जाना चाहिए। अगर इन राज्यों में पूर्व में हुए चुनावों पर नज़र डालें तो 2008 और 2013 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव अक्टूबर से लेकर दिसंबर के बीच में ही कराए गए थे।

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English summary
Elections in four states may get delayed as preparation still underway, here are few logic given by Election Commission.
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