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जान को खतरा का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने पीएम मोदी से जुड़ी RTI का जवाब देने से किया इनकार

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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने आरटीआई एक्ट के तहत पूछे गए उस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया है, जिसमे चुनाव आयोग के कमिश्नर अशोक लवासा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को लेकर अपनी राय दी थी। दरअसल आरोप था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन किया था। इसी मामले में अशोक लवासा ने चुनाव आयोग से इतर अपनी राय रखी थी। चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि इसकी जानकारी देने से व्यक्तिगत तौर पर संबंधित व्यक्ति की जान को खतरा है।

पीएम मोदी को आरोपमुक्त किया गया था

पीएम मोदी को आरोपमुक्त किया गया था

बता दें कि पुणे के आऱटीआई एक्टिविस्ट विहार दुर्वे ने आरटाई के जरिए चुनाव आयोग से यह सवाल पूछा था, उन्होंने आरटीआई के जरिए पूछा था कि लवासा ने पीएम मोदी के कथित भाषण को लेकर अपनी क्या राय दी थी। पीएम मोदी ने 1 अप्रैल को वर्धा में और 19 अप्रैल को लातूर में चुनावी सभा को संबोधित किया था, उनपर आरोप था कि भाषण के दौरान उन्होंने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया था। लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को आरोपमुक्त कर दिया था।

आरटीआई एक्ट का हवाला

आरटीआई एक्ट का हवाला

चुनाव आयोग ने आरटीआई एक्ट के सेक्शन 8 (1) (जी) का हवाला देते हुए आरटीआई में पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया है। इस सेक्शन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जान को कोई जानकारी साझा करने से खतरा है तो उसे साझा नहीं किया जा सकता है। इसी नियम के तहत चुनाव आयोग ने आरटीआई द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। बता दें कि आरटीआई के द्वारा दुर्वे ने पीएम मोदी को आरोपमुक्त किए जाने को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया की भी जानकारी मांगी थी। इस जानकारी को भी साझा करने से इनकार कर दिया।

अल्पमत में को नहीं किया गया शामिल

अल्पमत में को नहीं किया गया शामिल

बता दें कि पीएम मोदी के भाषण के मामले में चुनाव आयोग के पैनल ने सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि असहमति और अल्प राय रिकार्ड का हिस्सा रहेंगे, लेकिन वह हमारे फैसला का हिस्सा नहीं होंगे। सुनवाई के बाद जारी बयान में चुनाव आयोग ने कहा था कि एमसीसी की बैठक हुई, जिसमे सभी सदस्यों की राय को सुना गया। जानकारी के अनुसार लवासा चाहते थे कि आयोग अपने फैसले में उनकी राय को शामिल करे।

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English summary
Election commission refused to disclosed dissent note of Ashok Lavasa.
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