ED ने 2007 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अशोक गहलोत के भाई को किया समन, आज हो सकती है पूछताछ
नई दिल्ली। राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत को ईडी ने पूछताछ के लिए समने भेजा है। आज प्रवर्तन निदेशालय अग्रसेन गहलोत से पूछताछ कर सकती है। दरअसल 2007-2009 के बीच फर्टिलाइजर घोटाला हुआ था, इसी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने अग्रसेन गहलोत को पूछताछ के लिए समन किया है। ईडी सूत्रों के अनुसार अग्रसेन गहलोत को बुधवार को दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है।
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कांग्रेस
ने
टाइमिंग
पर
खड़े
किए
सवाल
इससे
पहले
22
जुलाई
को
ईडी
ने
अग्रसेन
गहलोत
के
ठिकानों
पर
छापेमारी
की
थी।
इसके
अलावा
ईडी
ने
13
राजस्थान,
पश्चिम
बंगाल,
गुजरात
और
दिल्ली
में
कई
जगहों
पर
छापेमारी
की
थी।
वहीं
ईडी
की
इस
कार्रवाई
के
समय
पर
कांग्रेस
सने
सवाल
खड़े
किए
हैं।
बता
दें
कि
राजस्थान
में
कांग्रेस
पार्टी
में
अंदरूनी
कलह
चल
रही
है।
पूर्व
उपमुख्यमंत्री
सचिन
पायलट
ने
गहलोत
सरकार
के
खिलाफ
मोर्चा
खोल
दिया
है
और
अपने
समर्थक
विधायकों
के
साथ
सरकार
के
खिलाफ
लामबंदी
कर
रहे
हैं।
31
जुलाई
को
सत्र
बुलाना
चाहते
हैं
मुख्यमंत्री
इस
बीच
मुख्यमंत्री
अशोक
गहलोत
की
अध्यक्षता
में
उनके
आवास
पर
मंगलवार
को
कैबिनेट
की
बैठक
हुई।
इस
बैठक
में
विधानसभा
सत्र
बुलाने
के
संशोधित
प्रस्ताव
पर
राज्यपाल
द्वारा
उठाए
गए
सवालों
पर
चर्चा
की
गयी।
बैठक
में
शामिल
एक
मंत्री
ने
कहा
है
कि
सरकार
31
जुलाई
से
ही
सत्र
बुलाना
चाहती
है।
कैबिनेट
के
फैसले
की
जानकारी
देते
हुए
परिवहन
मंत्री
प्रताप
सिंह
खाचरियावास
ने
मुख्यमंत्री
आवास
के
बाहर
पत्रकारों
को
बताया
कि
कैबिनेट
ने
राज्यपाल
द्वारा
सरकार
को
भेजे
गए
पत्र
में
उठाए
गए
सभी
सवालों
का
जवाब
देते
हुए
एक
बार
फिर
31
जुलाई
से
ही
सत्र
बुलाने
की
मांग
की
है।
राज्यपाल
पर
हमलावर
गहलोत
सरकार
प्रताप
सिंह
ने
कहा
कि
राज्यपाल
ने
विधानसभा
में
व्यवस्था
संबंधी
जो
प्रश्न
उठाया
है,
वह
सही
नहीं
है
क्योंकि
यह
देखने
का
काम
बिजनेस
एडवाइजरी
कमेटी
और
विधानसभा
अध्यक्ष
का
है,
लेकिन
हम
राज्यपाल
से
कोई
टकराव
नहीं
चाहते
हैं।
हमारी
राज्यपाल
से
कोई
नाराजगी
नहीं
है
और
राज्यपाल
हमारे
मुखिया
हैं,
इसलिए
उनके
मान-सम्मान
में
हमने
एक
बार
फिर
उनके
पत्र
में
उठाए
गए
बिंदुओं
का
जवाब
भेजा
है।
राज्यपाल
ने
अपने
पत्र
में
21
दिन
बाद
सत्र
बुलाने
की
कोई
गारंटी
नहीं
दी
है।
उन्होंने
अपने
पत्र
में
ऐसी
कोई
तारीख
नहीं
दी
है
तो
हम
यह
कैसे
विश्वास
कर
ले
कि
राज्यपाल
हमारे
21
दिन
के
प्रस्ताव
पर
सत्र
बुला
ही
लेंगे।
दस
दिन
तो
अब
भी
गुजर
गए
हैं।