स्काइप के जरिए जाकिर नाइक की पेशी को प्रवर्तन निदेशालय ने किया खारिज
जाकिर नाईक और उसका एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन जांच एजेंसियों के रडार पर है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धर्म परिवर्तन के आरोप लगे हैं।
नई दिल्ली। विवादित इस्लामिक धर्म प्रचारक जाकिर नाइक ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा था कि वह स्काइप या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान दर्ज कराने को तैयार है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े एक अधिकारी ने वनइंडिया को बताया है कि उसका ये प्रस्ताव ईडी ने खारिज कर दिया है। अधिकारी ने बताया कि ऐसे मामलों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराना कोई विकल्प नहीं हो सकता है। अधिकारी के मुताबिक यह एक बेहद गंभीर मामला है और इससे भी बढ़कर जाकिर नाईक इसमें आरोपी है। ऐसे में हम कैसे उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान रिकॉर्ड कराने की आज्ञा दे सकते हैं वो भी सऊदी अरब से।
जाकिर नाइक के वकील ने पत्र के जरिए की थी अपील
जाकिर नाइक और उसका एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन जांच एजेंसियों के रडार पर है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धर्म परिवर्तन के आरोप लगे हैं। जाकिर नाइक के वकील की ओर से एक पत्र जांच एजेंसी को भेजा गया था जिसमें इस बात की जानकारी दी गई थी कि उनका क्लाइंट जांच में सहयोग के लिए तैयार हो गया है। पत्र में बताया गया कि जाकिर नाईक मामले में स्काइप के जरिए बयान दर्ज कराने को तैयार है।
इस पत्र के बाद जाकिर नाइक की ओर से भी एजेंसी को अनुरोध किया गया कि जांच को तब तक रोका जाए जब तक कि ट्रिब्यूनल मामले पर फैसला नहीं सुना देता। ट्रिब्यूनल को फैसला देना है कि सरकार ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर जो बैन लगाया है वो कानूनी तौर पर सही है या नहीं। बता दें कि सरकार ने गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। जाकिर नाइक की ओर से अपील की गई है कि उसे थोड़ी मोहलत दी जाए जब तक कि वजह व्यक्तिगत रुप से जांच एजेंसी के सामने उपस्थित नहीं हो जाता।
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