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अर्थव्यवस्था: भारत से पीछे फ़्रांस, पर वहां प्रति व्यक्ति आय 25 लाख कैसे?

भारत अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में फ़्रांस से आगे निकल गया है. भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.

इस बात पर सरकार जश्न मना रही है लेकिन सवाल यह उठता है कि बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भी देश के आम नागरिकों के जीवन पर क्यों कोई असर दिखाई नहीं देता है?

By BBC News हिन्दी
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अर्थव्यवस्था
AFP
अर्थव्यवस्था

भारत अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में फ़्रांस से आगे निकल गया है. भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.

इस बात पर सरकार जश्न मना रही है लेकिन सवाल यह उठता है कि बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भी देश के आम नागरिकों के जीवन पर क्यों कोई असर दिखाई नहीं देता है?

बुधवार की घोषणा में विश्व बैंक ने कहा कि बीते वित्त वर्ष के अंत तक भारत का जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद 2.59 लाख करोड़ डॉलर था जबकि फ़्रांस का 2.58 लाख करोड़ डॉलर, इस तरह भारत फ़्रांस से आगे निकल गया है.

फ्रांस
Getty Images
फ्रांस

यह मोदी सरकार के लिए राहत की ख़बर है क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी के बाद आशंका व्यक्त की जा रही थी कि विकास दर में कमी आएगी, लेकिन अब फ़्रांस से बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को सरकार एक बड़ी सफलता की तरह पेश कर रही है.

विश्व बैंक के अनुसार अभी भी अमरीका ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

दूसरे नंबर पर चीन, तीसरे पर जापान और उनके बाद जर्मनी और ब्रिटेन भारत से आगे हैं.

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मोदी और मनमोहन
Getty Images
मोदी और मनमोहन

विकास दर में पीछे भारत

दरअसल, भारत की अर्थव्यवस्था के आकार में, देश का बहुत बड़ा होना और बड़ी आबादी का होना एक प्रमुख कारण है. इसे ठीक से समझने की ज़रूरत है कि भारत एक विकासशील देश है और फ़्रांस की अर्थव्यवस्था से वह सिर्फ़ आकार में बड़ा है, बाक़ी किसी और मामले में नहीं.

ये बात ज़रूर है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में है लेकिन विकास दर में पिछले कुछ सालों में कमी आई है.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2008 के बीच 9 प्रतिशत तक की दर से बढ़ी थी लेकिन अब विकास की दर 7 प्रतिशत के करीब रह गई है.

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के मुताबिक़, इस साल भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत के करीब रहने की संभावना है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी संभावना व्यक्त की है कि इस साल भारत की विकास दर 7.4 फ़ीसदी रहेगी.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को लगता है कि भारत में करों में सुधार अगर होते हैं तो 2019 में भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.

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भारत में आबादी
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भारत में आबादी

भारत और फ़्रांस के अंतर को समझें

फ़्रांस भारत की तुलना में एक बहुत ही छोटा देश है. भारत का क्षेत्रफल फ्रांस से पाँच गुना और आबादी 18 गुना अधिक है.

भारत की आबादी पूरे यूरोप की आबादी से दो गुना अधिक है इसलिए भारत में प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है. देश की कुल आबादी से सकल घरेलू उत्पाद को भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होती है वही है प्रति व्यक्ति आय.

यानी भारत के जीडीपी में एक अरब तीस करोड़ से भाग देना होगा वहीं फ़्रांस की आबादी केवल सात करोड़ से भी कम है, इसका मतलब ये है कि जितना धन फ्रांस में सात करोड़ लोगों के बीच बँटा है लगभग उतना ही धन भारत में सवा अरब से अधिक लोगों में.

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भारतीय रुपैया
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भारतीय रुपैया

25 लाख रुपये vs 17 हज़ार रुपये

फ़्रांस की प्रति व्यक्ति आय करीब 25 लाख रुपये है जबकि भारत में ये लगभग 17 हज़ार रुपये है.

प्रति व्यक्ति आय भी अपने-आप में एक हद तक ही देश की हालत का अंदाज़ा दे सकता है क्योंकि ये देश की कुल उत्पाद क्षमता और जनसंख्या का अनुपात है, यह एक औसत है लेकिन देश में अगर अमीरों और गरीबों के बीच की खाई अधिक हो तो ग़रीब लोगों का जीवनस्तर काफ़ी बुरा हो सकता है.

भारत में आय का बँटवारा कितना विषम है इसका पता इस बात से चलता है कि भारत में अरबपतियों की संख्या 100 से अधिक है जबकि फोर्ब्स पत्रिका का कहना है कि फ़्रांस में अरबपतियों की तादाद सिर्फ़ 20 के आसपास है, यानी भारत का धन अमीर लोगों के हाथों में केंद्रित है और भारत का ग़रीब व्यक्ति फ़्रांस के ग़रीब व्यक्ति की तुलना में बहुत बुरी हालत में है.

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भारत में गरीबी
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भारत में गरीबी

खान-पान में पीछे भारत

लोगों की हालत को आप प्रति व्यक्ति दैनिक प्रोटीन खपत के आईने में देख सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया में प्रोटीन की औसत खपत 77 ग्राम है. वहीं भारत के ग्रामीण इलाक़ों में प्रति व्यक्ति प्रोटीन खपत 43 ग्राम है जबकि फ़्रांस में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति 113 ग्राम है.

विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल आबादी के 21.2 प्रतिशत लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं यानी 26 करोड़ से अधिक लोग ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं, यानी वो लोग जो 200 रुपये प्रतिदिन से भी कम कमाते हैं. भारत में अति निर्धन लोगों की आबादी तकरीबन चार फ़्रांस के बराबर है.

अर्थशास्त्री मानते हैं कि अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे बड़ी होती जाती है उसकी विकास दर कम होती जाती है. मिसाल के तौर पर अमरीका, जिसे विश्व की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था कहा जाता, वहां दो प्रतिशत विकास दर को शानदार माना जाता है.

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English summary
Economy France behind India but how per capita income 25 lakhs there
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