Economic Survey: पी चिंदबरम बोले- सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर खुद निराशावादी
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम में आर्थिक सर्वेक्षण पर टिप्पणी करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण को देखकर ऐसा लगता है कि सरकार खुद इसे लेकर निराशावादी है। उन्होंने कहा कि सर्व में कहीं बातें ना तो सकारात्मक हैं और ना ही उत्साहजनक। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण संसद के दोनों पटलों पर रखा। निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश करेंगी।
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पी चिंदबरम ने सर्वे को बताया निराशावादी
पी चिंदबरम ने आर्थिक सर्व को लेकर कहा कि इसके जरिए सरकार ने खुद को बधाई दी है। इसका पहले भाग का पहला पृष्ठ यही बताता है। इसमें विकास को लेकर कोई भी अनुमान सेक्टरों को लेकर नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अर्थव्यवस्था के बारे में निराशावादी है। मोदी सरकार के लिए इकोनमी को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। पिछले वित्त वर्ष में जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 फीसदी पर आ गयी है।
जीडीपी सात फीसदी रहने का अनुमान
निर्मला सीतारमण ने सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया कि साल 2019-2020 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर इसमें कहा गया है कि देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा। 14 जून तक विदेशी मुद्रा भंडार 42,220 करोड़ डॉलर था। इसके अलावा 2018-19 में शुद्ध एफडीआई 14.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। गौरतलब है कि यह सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार किया है।
तेल की कीमतें गिरेंगी
आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि साल 2019-2020 में तेल की कीमतों में गिरावट आएगी। लोगों के लिए अच्छी ये खबर है। देश में तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर थी। चुनावों से पहले बीजेपी शासित राज्यों ने लोगों को इसे लेकर राहत भी थी। आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे में कमी आई है और यह जीडीपी के सिर्फ 5.8 फीसदी रहा, जबकि इसके पिछले साल यह 6.4 फीसदी था।
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