Economic Survey: मुकाबला चीन से है तो जुगाड़ छोड़ना होगा, R&D में खर्च करे भारत
Economic Survey: नई दिल्ली। दुनिया में आर्थिक विकास की दौड़ में भारत के सामने चीन इस समय बड़ा प्रतिद्वंदी है। इसी साल आई एक रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मामले में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। चीन में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ। इसकी वजह भी है चीन तकनीक के मामले में काफी तेजी से विकास कर रहा है या यूं कहें कि काफी हद तक आत्मनिर्भर बन रहा है। ऐसे में अगर भारत को चीन से मुकाबला करना है तो यहां पर व्यापार क्षेत्र में शोध पर अधिक खर्च करने की जरूरत है।
जुगाड़ तकनीक से बाहर आने की जरूरत
शुक्रवार को जारी किए गए भारत के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में व्यापार क्षेत्र को जुगाड़ तकनीक से बाहर आने की जरूरत है और शोध व विकास कार्यों (R&D)में बहुत खर्च करना चाहिए। जुगाड़ इनोवेशन पर हमारी निर्भरता के चलते हम भविष्य के लिए हमारे रास्तों के लिए महत्वपूर्ण अवसर खो रहे हैं।
सर्वेक्षण में आगे कहा गया कि दुनिया की 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का रिसर्च एंड डेवलपमेंट में योगदान सबसे कम है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा सरकार वहन कर रही है।
अगर भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च की बात करें तो कुल जीडीपी का मात्र 0.65 प्रतिशत ही इस पर खर्च किया जाता है जो कि टॉप 10 अर्थव्यवस्था के औसत से काफी कम हैं। टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं शोध एवं विकास योजनाओं पर जीडीपी का 1.5 - 3 % खर्च करती हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के इस क्षेत्र में पीछे रहने की वजह है कि बिजनेस सेक्टर का इसमें योगदान काफी कम है।
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ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन पर संदेह
भारत को पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आगे लाने के लिए देश में मौजूद कंपनियों को उच्च श्रेणी के उत्पाद तैयार करने होंगे और अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए तैयार होना होगा। भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को हासिल करना है तो इसके लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट में अधिक खर्च करना होगा।
अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार टैक्स में उदार रुख अपनाती है। बावजूद इसके भारतीय व्यापार क्षेत्र R&D में काफी फिसड्डी रहा है। पड़ोसी चीन में जहां तमाम दबावों के बावजूद विदेशी निवेश बढ़ता जा रहा है वहीं भारतीय क्षेत्र अभी भी आकर्षित नहीं कर पा रहा है।
कोरोना महामारी के चलते दुनिया के मोर्चे पर चीन कमजोर हुआ है। दुनिया के देश चीन पर शक भरी निगाह रख रहे हैं। ग्लोबल सप्लाई चेन के मामले में चीन संदेह के घेरे में आ गया है और दुनिया उसके चंगुल से छुटकारा चाह रही है। इसके साथ ही महामारी का असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी असर पड़ा है।
ग्लोबल सप्लाई चेन भरने का मौका
भारत के लिए ये मौका है कि वह ग्लोबल सप्लाई चेन को भरने की तैयारी करे। इसलिए जरूरी है कि हमारी तैयारी अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो। महामारी और वैश्विक राजनीतिक हलचल ने भारत के लिए एक मौका दिया है और भारत को इसे हाथ से निकलने नहीं देना चाहिए।
अगर भारत ऐसा करने में सफल होता है तो वह दक्षिण पूर्ण एशिया में अपने प्रतिद्वंदी को हराने में सफल होगा। लेकिन इसके लिए जुगाड़ से काम नहीं चलेगा बल्कि अनुसंधान और विकास में खर्च से होगा। जो कि अभी नहीं हो रहा है। सर्वेक्षण के मुताबिक इनोवेशन सूचकांक में सुधार के बावजूद भारत का स्थान अभी निम्न मध्यमवर्गीय देशों में वियतनाम से भी पीछे है। जब सरकार भारत में आने और निर्माण के लिए वैश्विक दिग्गजों के सामने रेड कॉर्पेट डाल रही है तो उस परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता है।