CEA केवी सुब्रमण्यन बोले- आर्थिक सर्वेक्षण 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का ब्लूप्रिंट
नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण को तैयार करने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने गुरुवार को कहा कि ये सर्वे प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साल 2025 तक देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विजन का ब्लू प्रिंट है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास बढ़ावा निवेश के जरिए होगा। सुब्रमण्यन ने कहा कि टीम ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि दस्तावेज़ आम आदमी के लिए सुलभ हो। आम आदमी को ये समझ में आए इसके लिए हिंदी और अंग्रेजी में शार्ट वीडियो जारी किए गए हैं।
पांच साल की उपल्धियां गिनाई
केवी सुब्रमण्यन ने एमएसएमई पर जोर दिया। उन्होंने पिछले पाँच सालों में सरकार की आर्थिक उपलब्धियों का जिक्र किया। भारत का दुनिया की अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान रहा है। क्योंकि उसने उच्च विकास दर और कम मंहगाई के साथ स्थिर अर्थव्यवस्था दी है। सरकार ने गांवों के विद्युतीकरण, राष्ट्रीय राजमार्गों और उडान योजना पर निवेश किया है,ताकि बुनियादी ढ़ांचा मजबूत है।
चीन का उदाहरण दिया
केवी सुब्रमण्यन ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे-जैसे चीन की अर्थव्यवस्था बेहतर होने लगी। इसके बाद चीन ने बचत और निवेश करना शुरू किया। भारत को इससे सीखने और एक वर्चुअस चक्र अपनाने की जरूरत है। आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में सामाजिक परिवर्तन के लिए महात्वाकांक्षी एजेंडे का तर्क दिया गया। सीईए ने इसके दो उदाहरण दिए। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान की बात करते हुए कहा कि इसने स्वास्थ में बड़ा योगदान दिया। बेटी बचाओ बेटी पढाओ की वजह से लिंगानुपात में सुधार आया है।
जीडीपी सात फीसदी रहने का अनुमान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया कि साल 2019-2020 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर इसमें कहा गया है कि देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा। इसके अलावा 2018-19 में शुद्ध एफडीआई 14.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि साल 2019-2020 में तेल की कीमतों में गिरावट आएगी। आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे में कमी आई है और यह जीडीपी के सिर्फ 5.8 फीसदी रहा, जबकि इसके पिछले साल यह 6.4 फीसदी था।
कांग्रेस ने सर्वे को बताया निराशावादी
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिंदबरम ने आर्थिक सर्व को लेकर कहा कि इसके जरिए सरकार ने खुद को बधाई दी है। इसका पहले भाग का पहला पृष्ठ यही बताता है। इसमें विकास को लेकर कोई भी अनुमान सेक्टरों को लेकर नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अर्थव्यवस्था के बारे में निराशावादी है। मोदी सरकार के लिए इकोनमी को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। पिछले वित्त वर्ष में जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 फीसदी पर आ गयी है।
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