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विश्लेषणः चुनावी बयार में भाजपा-कांग्रेस छटपटाहट

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बेंगलूरू। [अनिल कुमार अमरोही] महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा लोकसभा में भारी जीत की गुदगुदी से अभी तक नहीं उभर पाई है। वहीं कांग्रेस ने भारी हार के बाद भी कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बनाई है। भाजपा के अति उत्साहित कार्यकर्ता और नेता जहां पर कुछ अलग बोल बोलते नजर आ रहे हैं। कोई मोदी का चहेता बनना चा रहा है तो कोई आरएसएस की कट्टर हिंदूवादी सोच को आगे बढ़ाने की जुगत में है। ज्यादा दूर नहीं जाएंगे अभी का एक उदाहरण लेंगे।

assembly

दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष शेर सिंह डागर स्टिंग ऑपरेशन में फंसे हैं। आप पार्टी के विधायकों की खरीद करते हुए। इसके बाद भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने भाजपा के अलाकमान की ओर से कहा है कि डागर को अधिकृत नहीं किया गया है। इसके बाद डागर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। अगर ऐसा ही हुआ है तो इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि डागर विधायकों की पूर्ति करा नरेंद्र मोदी को खुश करना चाह रहे थे।

कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के नाम इतने घोटाले हैं कि बोफोर्स से लेकर कोयला तक सभी ने उसे दबा लिया है। भाजपा की ओर से इमेज बिल्डिंग ने लोगों में इतनी मजबूत मानसिकता का जन्म कर दिया है जिसके बाद समाज का हर तबका कांग्रेस की हर बात पर मजाक औऱ संदेह करने लगा है तो भाजपा की तारीफों की पुल बांध रहा है।

इस बीच राहुल गांधी की ओऱ से आया बयान कि लोग बिना बिजली औऱ भूखे मर रहे हैं तो प्रधानमंत्री विदेशों में ढोल बजा रहे हैं। इस बयान को भी नकारात्मक लिया गया। बल्कि दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस पार्टी की ओर से बतौर विपक्ष ऐसा सवाल उठाना लाजमी है। मानो या मानो यह एक कड़वी सच्चाई भी है।

महाराष्ट्र में अगले महीने ही चुनाव हैं। पिछले पच्चीस वर्षों से यहां पर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन डंका बजता है। यहां पर भाजपा महत्वकांशा हर बार शिवसेना की बदज़ुबानी की भेंट चढ़ जाती है। संभवतः इस बार भी अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लेकर आए। क्योंकि साफ है कि महाराष्ट्र में भले ही भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना मराठी समुदाय में अपनी पहुंच का दावा करती हो लेकिन राज्य में दूसरा सबसे बड़ा धर्म मुस्लिम है। महाराष्ट्र राज्य की कुल जनसंख्या का 10 फीसदी इस्लाम धर्म को मानने वाली है।

रमजान के दिनों में शिवसेना के एक सांसद की ओऱ से धर्म समुदाय के एक व्यक्ति के मुह में जबरन रोटी ठूंसने की हरकत तो सभी को याद होगी। इसके अलावा बाबरी मस्जिद गिरने के बाद 1992-1993 के मुंबई दंगे से लेकर भाजपा भले ही अपनी छवि साफ सुथरी करने की कोशिश करती रही लेकिन अभी तक उसके कार्यकर्ता और नेताओं की बदज़ुबानी औऱ उल्टे-आड़े-तिरछे बयानों से वही कट्टरवादी छवि गढ़ी जाती रही।

महाराष्ट्र के अलावा जम्मू कश्मीर, हरियाणा औऱ झारखंड के चुनाव भी होने वाले हैं। जम्मू कश्मीर में भयंकर बाढ़ ने लाखों लोगों की जान आफत में डाल दी है। इससे राज्य में गरीबी और बढ़ेगी। राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। नरेंद्र मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी छवि का विरोध करता रहा समाज का एक तबका बाढ़ के बाद इतना भ्रमित हो सकता है।

हरियाणा के मेवात क्षेत्र में भी नरेंद्र मोदी विरोधी लहर दौड़ रही है तो वहीं झारखंड के लिए भाजपा के पास कोई विशेष तैयारी नहीं। गौरतलब है कि इन राज्यों में पहले से ही कांग्रेस की सरकार है ऐसे में कांग्रेस को ही ज्यादा फायदा हो जाए, इसकी आशंका है। खैर ऊंट किस करवट बैठेगा इसका खुलासा तो नतीजों में ही होगा।

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English summary
EC will announce dates of assembly election but congress and BJP are prepared till now.
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