चुनाव आयोग ने जांच एजेंसियों को दी हिदायत, छापे से पहले हमें सूचना दें
नई दिल्ली। केंद्र सरकार पर चुनाव के वक्त सरकारी एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है जिसको लेकर चुनाव आयोग ने वित्त मंत्रालय के अधीन जांच एजेंसियों को हिदायत दी है। चुनाव आयोग ने जांच और प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिया कि चुनाव पूर्व छापे निष्पक्ष और बिना किसी भेदभाव के होने चाहिए और इस तरह की किसी भी कार्रवाई से पहले आयोग को सूचित किया जाना चाहिए।
इस बाबत चुनाव ने रेवेन्यू अधिकारी को पत्र लिखकर हिदायत दी है, 'कड़ी चेतावनी दी जाती है कि चुनाव के समय की जाने वाली कार्रवाई गलत इरादे से ना हो और इसे निष्पक्ष तरीके से पूरा किया जाए।' प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और DRI जैसी जांच एजेंसियां रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधीन काम करती हैं और ये वित्तीय अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं।
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हाल ही में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में कई नेताओं या उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई है। इन छापों को लेकर संबंधित राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने कहा था कि सरकार विपक्षी दलों को परेशान करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है।
चुनाव आयोग का ये निर्देश जनता दल (सेकुलर) और कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के बयान के बाद आया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें निशाना बनाने के लिए संवैधानिक एजेंसियो का इस्तेमाल किया है। चुनाव आयोग द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अवैध धन के संदिग्ध इस्तेमाल के मामले में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान उपयुक्त प्रकार से सूचित किया जाना चाहिए।
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