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राजस्थान में 7 दिसंबर को होगा मतदान, जानें हार-जीत तय करने वाले फैक्टर
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। यहां 7 दिसंबर को एक चरण में सभी सीटों पर मतदान होगा। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, पिछला विधानसभा चुनाव 2013 में हुआ था, उस वक्त 199 सीटों के लिए वोट डाले गए थे। 2013 में वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी ने राजस्थान में सरकार बनाई थी। 2014 लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। हालांकि, दिसंबर 2017 में राज्य के निकाय उपचुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दे डाली थी। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान सचिन पायलट संभाल रहे हैं, जो कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पालयट के बेटे हैं।
- राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में 142 सामान्य सीटें, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए रिजर्व हैं।
- 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में बीजेपी को 163 सीटों के साथ बंपर जीत मिली थी। बीजेपी का वोट प्रतिशत 46 प्रतिशत रहा था।
- पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि, कांग्रेस 33 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही थी। 2013 में बसपा ने 3 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफलता पाई थी।
- 2013 विधानसभा चुनाव में कुल 2096 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जिनमें 1930 पुरुष उम्मीदवार और 166 महिला उम्मीदवार शामिल थे। इनमें 172 पुरुष उम्मीदवार और 28 महिला उम्मीदवारों को जीत मिली थी, जबकि कुल 1641 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
- राजस्थान के 2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 78 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस 96 सीटें जीती थी। बसपा के 6 उम्मीदवार 2008 विधानसभा चुनाव में जीते थे। इसके अलावा 14 निर्दलीय उम्मीदवार और चार अन्य प्रत्याशी भी चुने गए थे।
आंकड़ों से अलग जानें क्या है राजस्थान चुनाव का पूरा गणित
- राजस्थान विधानसभा चुनावों में यह ट्रेंड रहा है कि पांच साल के बाद सत्ताधारी दल को हर का सामना करना पड़ता रहा है। ऐसे में बीजेपी के सामने कठिन चुनौती है कि वह इस ट्रेंड को तोड़े। दूसरी ओर कांग्रेस राजस्थान के उसी ट्रेंड पर विश्वास करके चल रही है, जिसके अनुसार सत्ताधारी दल की हार तय है।
- राजस्थान की राजनीति में यूं तो कई अहम मुद्दे हैं, लेकिन यहां लंबे समय से किसान और गाय के मुद्दे पर वोट पड़ता रहा है। बीजेपी की कोशिश रही है कि वह ज्यादा से ज्यादा इसी प्रकार के मुद्दों को उठाए।
- एक अनुमान के मुताबिक, राजस्थान के किसानों पर औसतन 50 हजार रुपए का कर्ज है। युवा भी बेरोजगारी से काफी परेशान हैं। दूसरी ओर गाय का मुद्दा हिंदुत्व से जुड़ा है, जिसकी राजस्थान में काफी अहमियत रही है।
सबसे अहम है जाट वोट:
- राजस्थान में जाट मतदाता यूं तो 12 से 14 फीसदी ही है, लेकिन जाटों के वोट एकमुश्त पड़ते हैं। राजस्थान में नागौर, सीकर, झुंझनू, भरतपुर और जोधपुर को जाट बेल्ट कहा जाता है। इस जाट बेल्ट का हेडक्वार्टर नागौर को माना जाता है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं जाट वोटरों पर हैं।
- जाट वोट के अलावा राजस्थान में ब्राह्मण, राजपूत, मीणा, गुर्जर वोट बेहद अहम हैं। राजस्थान में गुर्जर और ब्राह्मण आबादी करीब 7 प्रतिशत है। अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या करीब 14% है, जिसमें आधी से ज्यादा अकेली मीणा जाति के हैं।
- राजस्थान का राजपूत समुदाय अधिकतर बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। 200 सदस्यों वाली विधानसभा में हर बार कम से कम 15-17 विधायक राजपूत समुदाय से चुनकर आते हैं। मौजूदा विधानसभा में राजपूत समुदाय के 27 विधायक हैं, जिनमें 24 बीजेपी के हैं। यूं तो राजपूत समुदाय की आबादी ज्यादा नहीं है, लेकिन ये बड़ी संख्या में सीटों पर खेल बनाते और बिगाड़ते हैं।
English summary
EC announces poll dates for Rajasthan, all you need to know about Rajasthan assembly elction 2018.
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